Become a Good Listener In Hindi
जब भी अच्छा बोलो,अच्छा देखो, अच्छा सुनो की बात होती है तो हमको एक बात अच्छे से समझने की जरूरत होती है कि ये पूरी तरह से हमारी सोच पर निर्भर करती है।
जब भी हम कुछ अच्छा सोचते है तो हम अच्छा बोलते है, जब हमारा नजरिया सही होता है तो हम असल में अच्छा ही देखते है और जब हमारी सोच बड़ी होती है तो हम हमेशा अपने अंदर अच्छा ही ग्रहण करते है।
अगर देखा जाये तो सकारात्मक सोच एक शक्ति, एक हथियार है, जो भगवान् ने हम सभी को दिया है, इसका प्रयोग कर हम बड़े से बड़े युध्य में भी विजय प्राप्त कर सकते है।
जीवन में हमें कई तरह की परेशानियाँ आती है, ऐसा कोई नहीं है जिसके जीवन में कोई कठिनाई, परेशानी न हो. हर इन्सान के पास परेशानी है, लेकिन हर इन्सान परेशान, रोता हुआ तो नहीं दिखता है।
जीवन में अगर परेशानी के समय भी जो अपनी सोच में काबू रखते है, वे ही उससे लड़कर आगे सफल हो पाते है, मनुष्य के मन में 2 तरह के विचार होते है, सकारात्मक और नकारात्मक, ज्यादातर तो हमारे अंदर नकारात्मक विचार ही चलते रहते है, लेकिन असल में ये पूरी तरह से हमारे ऊपर ही निर्भर करता है कि हम किस को अपने अंदर डाल रहे होते है और किस को छोड़ रहे होते है।
हमेशा अच्छा ही सोचें (Think positive) – हमारी सोच जैसी रहेगी, हम वैसा ही व्यव्हार करेंगे और हमारे सारे action भी उसी तरह के होंगे,अगर अच्छा सोचेंगे तो अच्छा होगा, और बुरा सोचेगें तो बुरा ही होने लग जायेगा।
हर बात के दो पहलु होते है, एक अच्छा एक बुरा, आप सोच रहे होंगें ये सब बातें सिर्फ कहने की है, इन्सान की परिस्थति वही समझ सकता है, जिस पर बीतती है, ये बात बहुत हद तक सच भी है। लेकिन इस दुनिया के हर इंसान को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होती है। जैसे पानी से भरी आधी गिलास को कोई बोलेगा ये आधा भरा है, तो कोई बोलेगा ये आधी खाली है. परिस्थति वही है, बस इसे देखने व सोचेने का तरीका अलग है।
नकारात्मक सोच के अंधेरे से बाहर निकलने के लिए हमें अपने mind को trained करना होता है। थोड़े से प्रयास से दृष्टिकोण को बदलकर हम सकारात्मकता के प्रकाश की ओर बढ़ सकते हैं।
हम सब यह जानते हैं कि नकारात्मक सोच का परिणाम कितना खतरनाक होता है। इन विचारों को रोकने के लिए आपको अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना होगा। नकारात्मक सोच के साथ हम कभी भी इन तीनो goal को नहीं पा सकते है।
असल में आपका mind जिस अवस्था में इस समय है, उसके लिए वर्षों तक उसे प्रशिक्षित किया गया है। हम सकारात्मक या नकारात्मक जैसे भी हैं, यह उसी प्रशिक्षण का परिणाम है। जिस तरह से हम सोचते आये है, जिस तरह से चीज़ो को देखते आये है ये सब उसका ही परिणाम है कि हमारी thinking ही पूरी की पूरी गलत हो गयी है।
जिस तरह से आपने उसे प्रशिक्षित किया है, उसी तरह अब उसे नई दिशा में प्रशिक्षित करना होगा। आपने यदि अपने नकारात्मक विचारों को सकारात्मकता में बदलने का संकल्प ले लिया है, तो आप इन बातों पर चलकर सफल हो सकते हैं।
सकारात्मकता भी असल में सोच से ही आती है जब तक सोच में पकड़ नहीं होगी तब तक बुरे विचारों में काबू नहीं पाया जा सकता है।
एक व्यक्ति अपनी सोच को सकारात्मक कैसे बना सकता है?
जिस तरह एक मां अपने नवजात शिशु का ध्यान रखती है आपको उसी तरह अपने मन रूपी शिशु का ध्यान रखना है।आपकी आंखें क्या देख रही है,आपके कान क्या सुन रहे है,इस पर कड़ी नजर नजर रखो।
अपनी इंद्रियों का उपयोग बड़े देखभाल से करो। सबसे बड़ी बात होती है कि आपका मन जब बाहर से सूचनाएं एकत्रित कर लेता है फिर उसी के अनुसार काम करता है।तो ध्यान रखो की जो सूचनाये आये वो सकारात्मक हो।
अच्छे वातावरण में रहो।
अच्छा साहित्य पढ़ो।
अच्छे व्यवहार को अपनाओ।
सामाजिक कार्यो में योगदान दो।
प्रकृति के महत्व को जानकर उसके करीब रहो
प्रकृति से बड़ा गुरु कोई नही बन सकता है,आपके सामने सारा अस्तित्व है सूर्य ,चन्द्रमा ,तारे,नदियाँ ,वृक्ष,पहाड़,समुद्र ।और ये सब आपको जीवन के सारे रहस्यों से परिचित करा देंगे।
यदि व्यक्ति अतीत वर्तमान और भविष्य के विचारों को सामान रूप से हृदय में आत्मसात करते हुए कार्य करें और अपने कार्य की गुणवत्ता को प्राथमिकता देते हुए सकारात्मक सोच उत्पन्न करें तो निश्चित ही व्यक्ति हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण निर्मित करता रहेगा।
उदाहरण के लिए एक व्यक्ति अपने जीवन के पिछले दिनों को याद करता है और उनकी यादों में खोया रहता है इसलिए वह वर्तमान में अपनी जिंदगी को ठीक तरीके से नहीं जी पाता है क्योंकि वह अतीत के झरोखों में उलझा हुआ है और वह वर्तमान को प्राथमिकता नहीं दे रहा है।
इस कारण से नकारात्मक ऊर्जा उसके दिल और दिमाग पर सक्रिय रहेगी जो व्यक्ति वर्तमान में रहकर अतीत को भी शिक्षा के रूप में ग्रहण करता है और भविष्य के लिए वर्तमान में अच्छी योजना बनाता है इस प्रकार की सोच से ही मानव अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हुए अपना जीवन सरलता से सहजता से जी सकता है।
सकारात्मक सोच हमारे जीवन को किस तरह बेहतर बनाती है?
ज़िन्दगी की सही दिशा सकारात्मक सोच पर ही निर्बाध गति से चलती है। यह ज़िन्दगी जीने का मूल मंत्र है। ऐसा नहीं है कि किसी इंसान को नकारात्मक परिस्थितियों से नहीं गुजरना पड़ता है।
सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं। इंसान के जीवन में जब कठिनाइयाँ आती हैं,चाहे वह पैसे की वजह से हो,करियर की वजह से हो,पारिवारिक कारणों से की वजह से हो इंसान टूटने लग जाता है।
ऐसे समय में ही सकारात्मक सोच की जरूरत होती है। सोच सकारात्मक हो तो ज़िन्दगी का नजरिया व्यापक हो जाता है।
सकारात्मक सोच का जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है?
सकारात्मक सोचने से आपके मस्तिष्क पर अच्छा प्रभाव पड़ता है आपके body के अंदर release होने वाले chemical पर नुकसान नहीं पहुंचता है, आपके माइंड सेंसर कम्युनिकेशन सिस्टम अच्छे से काम करते रहते हैं जिससे आपके जीवन पर प्रभाव पड़ता है
यहां पर मैं आपको एक जानकारी दे दू कभी भी सकारात्मक या नकारात्मक आप नहीं सोचते है लेकिन आपके संकल्प या विचारो से अपने आप ही आ रहे होते हैं।
जब आप अत्यधिक मुश्किलों में घिरे होते हैं उस वक्त mind सकारात्मक सोचना बंद कर देता है। पर उसी वक्त उसी समय अपने आप को संभालने की बहुत ज्यादा जरूरत होती है ।
नकारात्मकता आपको कहीं भी नहीं ले जा सकती तो आप सकारात्मक रहे ,पॉजिटिव सोच हो, तभी आप जीवन में आगे बढ़ सकते हैं ।उसके लिए आपको अच्छे लोगों की संगत करनी चाहिए। जो आपको सही सलाह देते हो। सकारात्मक सुनना भी चाहिए। कुछ अच्छे लोगों की स्पीच सुने ।अच्छा ज्ञानवर्धक बातें किताबों को पढ़ें । पॉजिटिव रहना इंसान के अपने हाथ में है आप जितना पॉजिटिव रहेंगे, उतनी जल्दी से आप अपनी जो भी मुश्किलें हैं ,उन से जल्दी छुटकारा पा जाएंगे। क्योंकि आप पॉजिटिव रह के उन चीजों को संभाल सकेंगे।
आखिर में खुद से करें वादा
खुद से वादा करें कि आप ‘इस क्षण’ के लिए समर्पित रहेंगे। इसका मतलब यह है कि आज, अभी जो क्षण है, वही आपका है और आपको उसका पूरा उपभोग करना होगा।
अगला जो क्षण आएगा, वह भी ‘इस क्षण’ हो जाएगा। इस सोच से आपका विचार, दिमाग और जीवन सब परिष्कृत हो जाएगा। आप इस तरह से संकल्प ले सकते हैं, ‘जब भी मेरे दिमाग में कोई नकारात्मक विचार आएगा तो मैं उस पर विचार नहीं करूंगा और न ही उसका प्रतिरोध करूंगा।
मैं सामान्य तरीके से उसे स्वीकार कर उसकी उपस्थिति को समझूंगा और अंतत: उससे बाहर निकल जाऊंगा। मैं खुद को नकारात्मक विचारों से हटाकर सकारात्मक विचार लाने का विशेषज्ञ बना दूंगा। मैं खुद से वादा करता हूं कि खुद को सबसे सुंदर, सकारात्मक और खुशहाल व्यक्ति बनाऊंगा।’