Improve Yourself In Hindi
अगर इंसान के चेहरे पर ही दाग हों तो शीशे का क्या दोष, शीशे पर झुंझलाने या उसे साफ करने के बजाय हमें चेहरे यानी खुद पर ही ध्यान देना चाहिए। जिंदगी का सफर भी कुछ ऐसा ही है।
इंसान इस दुनिया में बस भागता ही चला जा रहा है उसको पता ही नहीं है कि ये दुनिया बहुत ही बड़ी है जितना मर्जी चाहे भाग लो आप कुछ भी हासिल नहीं कर सकते हो।
जब तक इंसान का लक्ष्य बाहरी दुनिया है तब तक actual में कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है क्योकि वो दुनियाँ के अनुसार खुद को बदल रहा है लेकिन दुनियाँ में दो तरह के लोग होते है एक वो जो दुनियाँ के अनुसार खुद को बदल लेते है और दूसरे वो जो खुद के अनुसार दुनियाँ को बदल देते है।
एक बार एक की बात है कि एक राजा बहुत ही ज्यादा बीमार हो गया बहुत से doctors को दिखाया पर किसी को उस का रोग समझ नहीं आया। क्योकि उसको असल में एक अलग ही प्रकार का रोग था। समय बीतता चला जा रहा था।
फिर एक दिन doctor ने सलाह दी कि राजा सिर्फ एक ही सूरत में ठीक हो सकता है अगर वह सिर्फ हरा रंग ही देखे, राजा ने हर चीज हरी करवा दी। महल के रंग से ले कर कपड़े, यहां तक कि खाना भी हरे रंग का ही खाने लगा।
लेकिन असल में हर चीज़ को हरी करवाना बहुत ही मुश्किल था। क्योकि राजा ने महल में तो हर चीज़ को हरा करवा दिया लेकिन जब भी कभी बाहर जाता तो उसको फिर से सभी रंग नजर आते थे। वो सब देखते ही वो फिर से बीमार हो जाता था।
अब एक बार एक साधु वहां से गुजरा और हर ओर हरे रंग को देख कर उसने लोगों से इस का कारण पूछा तो राजा की बीमारी के बारे में उसे पता लगा। उस साधु को समझ आ गयी थी कि उसकी क्या समस्या है।
यह जान वह राजा के पास गया और बोला, ‘‘महाराज, आप किस-किस चीज को हरे रंग में बदलेंगे ? हर चीज को बदलना संभव नहीं है, इससे बेहतर होगा कि आप हरा चश्मा पहन लें, फिर आप को हर चीज हरी ही नजर आएगी।
इस कहानी से एक बात हमको क्या समझ आती है कि एक इंसान के लिए सबसे जरूरी होता है ” नजरिया ” यहाँ पर राजा ने खुद के अनुसार दुनिया को बदला न कि दुनिया ने राजा को खुद के अनुसार बदला।
अगर राजा वहाँ हरे रंग के चश्मे की जगह लाल रंग का चश्मा भी लगा लेता तो उसके लिए पूरी दुनिया लाल ही हो जाती, इसलिए सारा खेल ही नजरिये का होता है।
इस दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन का स्वयं निर्माता होता है, वह जैसा चाहता है वैसा ही उस का निर्माण करता है,हालांकि निर्मित करने के बाद कई बार उसे एहसास होता है कि जो उसने निर्मित किया है वह उसे पसंद नहीं आया है और उसमें बदलाव करने के बजाय दूसरों को इस का दोषी ठहराने लगता है।
वास्तव में तब तक कुछ नहीं बदलता जब तक कि हम खुद को नहीं बदलते, जिंदगी को देखने का चश्मा ही अगर गलत पहना हो तो खूबसूरत रंग बदरंग लगने स्वाभाविक हैं, फूलों की छुअन में कांटों की चुभन का एहसास होना स्वाभाविक है।
” खुद के अनुसार दुनिया को बदले न कि दुनिया को खुद के अनुसार “
हम बात करे अधिकतर लोग दूसरे लोगों के व्यवहार व विचारों की वजह से परेशान व क्रोधित होते रहते हैं और इस तरह वे न सिर्फ अपना समय बर्बाद करते हैं। बल्कि ऊर्जा भी खर्च करते हैं अंत में उन के हाथ क्या लगता है।
आखिर हमें ऐसा क्यों लगता है कि हम दूसरों को बदल सकते हैं, दूसरे की भी तो सोच हमारी तरह स्वतंत्र होगी, लेकिन हम यह मानने के बजाय अकसर यही कहते हैं, ‘आखिर वह ऐसा कैसे कह सकता है?’ या ‘वह इतना कठोर कैसे हो सकता है?’ या ‘उसे तो इस बात का एहसास भी नहीं हुआ होगा कि उसने मुझे कितना दुख पहुंचाया है।
हम हर इंसान के साथ Emotionally हो जाते है और हमको लगता है कि वो भी मेरी तरह ही होगा, और सामने वाला भी मेरी तरह ही सोचता है ये Emotion हमको फ़साता है।
‘‘हम सब की thinking अलग-अलग होती हैं, जिनका हर चीज को देखने का नजरिया दूसरे से अलग होता है, ऐसे में जब हम किसी दूसरे को अपने हिसाब से ढालने की कोशिश करते हैं तो यह जरूरी नहीं होता कि वह सही ही हो।
हर व्यक्ति का चीजों को समझने का नजरिया भिन्न होता है और ऐसे में दूसरे व्यक्ति की सोच से उस का नजरिया टकराए, यह स्वाभाविक सी बात है रिश्तों में टकराहट न आए या मतभेद न पैदा हों, इसके लिए बेहतर यही होगा कि खुद को बदल लो।
सामने वाले की Perception को बदलना असंभव होता है :-
किसी दूसरे व्यक्ति के व्यवहार या सोच को बदलने के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है, इसलिए जब आप यह कहते हैं कि काश उस ने ऐसा न किया होता या मुझे यकीन नहीं होता कि वह ऐसा कर सकता है तो यह कहने से पहले अपने विचारों पर एक question mark लगा कर कुछ पल ठहरें और दूसरे के नजरिए से उस के व्यवहार को परखें।
तब आप स्वयं ही किसी के व्यवहार या सोच के बारे में निर्णय लेना बंद कर देंगे. जिस दिन आप दूसरों के नजरिए का फैसला करना छोड़ अपनी सोच के बारे में निर्धारण करना शुरू कर देंगे उसी दिन से दुनिया आप के लिए बदली हुई और खूबसूरत हो जाएगी।
अपने नजरिये को समय के साथ बदलना सीखे :-
इंसान का नज़रिया ही उसके जीवन में आने वाली सफलता का चुनाव करता है जिस इंसान का नज़रिया जैसा होता है उस के साथ उसी प्रकार का व्यवहार होने लगता है एक नज़रिया इंसान की पूरी जिंदगी को बदलने की ताकत रखता है।
अपनी सोच को बदले :-
अपना नज़रिया सकारात्मक Positive Attitude बनाने की दिशा में पहला कदम यह है कि हमें अच्छी चीजों की खोज करनी होंगी, हमें हर चीज के सकारात्मक पहलू पर ध्यान देना होगा।
हम ज्यादातर इस प्रकार के माहौल में रहते हैं जहां पर दूसरों की अच्छाइयों पर नहीं उसकी कमियों पर ध्यान दिया जाता है और हमे इसकी आदत हो जाती है।
नकारात्मक सोच Negative Thinking वाले लोग हर चीज में कमियाँ निकालते हैं चाहे कोई चीज उनके सामने कितनी सुंदर क्यों न हो वह उसमें मौजूद कमी पर ही नजर डालेंगे।
वह किसी भी चीज में कमी निकालने में स्वयं को महान समझते हैं जैसे कि वह बहुत बड़ा काम कर रहे हैं, वे अपनी सभी समस्याओं के लिए दूसरों को दोष देते हैं।
खुद पर ध्यान दें (Focus on Yourself) :-
आपको अपनी life में अगर खुश रहना है तो आपको किसी बाहरी चीज को बदलने की जरूरत नही है बल्कि खुद को बदलने की जरूरत है खुद की सोच, नजरिये व Efforts को अगर बदल लिया जाए तो आपकी लाइफ पहले से कही ज्यादा आसान हो जाएगी और आप अपनी लाइफ में happy रहने लगोगे
अधिकांश लोग ऐसे होते है जो आज भी अंदर से वैसे ही है जो 5 साल पहले थे यानी की यह दुनिया बदल रही है, उनकी लाइफ बाहर से काफी चेंज हो चुकी है पर वे अभी भी अपने भीतर से वही बने बैठे है। ऐसे इंसान को दुनिया अपने हिसाब से बदलती है।
Life में आगे बढ़ते जाना है तो Self Improvement को अपना मन्त्र बना ले. आप जब छोटे होंगे तब आपमें कई बुराइयाँ होंगी और अब आपने उन कई बुराइयों को दूर कर दिया होगा, यह आपके Self Improvement को बताता है, जब हम खुद का Self Improvement करते है तब हम पहले से बेहतर बनते जाते है।
आखिर में खुद को बोले कुछ अच्छी बातें :-
कुंए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है;
तो भरकर बाहर आती है;
जीवन का भी यही गणित है;
जो झुकता है वह प्राप्त करता है।
- कोई भी काम आपको तब-तक मुश्किल लगता है जब तक की आप उसको करते नहीं हो.
- अगर आप किसी भी कार्य में बार-बार फ़ैल हो रहे हो तो इसका मतलब ये है की आप कोशिश तो कर रहे हो क्योकि सही दिशा में की गयी कोशिश ही हमको सफलता दिलाती है.
- अगर आपने अपने जीवन में वो काम नहीं किया जो की आप करना चाहते हो तो आपकी जिंदगी की डोर किसी और के हाथ में ही रहेगी.
जीवन में आगे बढ़ने के लिए ये जरुरी नहीं है की आप क्या करते हो बल्कि ये जरुरी है की आप क्या छोड़ते हो क्योकि एक कदम आगे बढ़ाने के लिए दूसरे को उठना ही पड़ता है.
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Your article really helps me in self-improvement