नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके साथ शेयर करने जा रहे है, Flipkart की सफलता की कहानी (Best Success Story of Flipkart In Hindi ) और किस तरह से एक छोटे से Startup से ये एक बनी करोडो की कंपनी ….
फ्लिपकार्ट इंडिया की एक प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी है जिसपर हम ऑनलाइन कुछ भी खरीद सकते हैं और वो भी घर बैठे- बैठे और आज की डेट में ये इंडिया की टॉप सक्सेसफुल कंपनीज में से एक है।
आज इस पोस्ट में मैं आपके साथ फ्लिपकार्ट की ही सफलता की कहानी शेयर करने जा रही हूं जिसे पढ़कर आपको Business का बहुत इंस्पायर होगा । तो चलिये शुरू करते है।
फ्लिपकार्ट आज के समय में कितनी सफल है इसका अंदाजा हम इस बात से ही लगा सकता है कि Flipkart Site की Alexa Rank 7 है इंडिया में, 15000 लोग इसमें काम करते हैं और इसकी कीमत 1 बिलियन डॉलर है, फ्लिपकार्ट की कीमत दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है।
Contents
फ्लिपकार्ट की सफलता की कहानी (Success Story of Flipkart In Hindi)
फ्लिपकार्ट की सफलता की कहानी कि कैसी फ्लिपकार्ट साइट बनी या कैसे क्या हुआ उसकी complete जानकारी-
Introduction of Flipkart
फ्लिपकार्ट की शुरुआत 2007 में की गई थी जब इंडिया में ई-कॉमर्स इंडस्ट्री अपना पैर जमाना शुरू ही कर रही थी। फ्लिपकार्ट कंपनी सिंगापुर में पंजीकृत है, लेकिन इस्का मुख्यालय बंगलौर, भारत में है। फ्लिपकार्ट ऑनलाइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रजिस्टर है।अब बात करते है कि फ्लिपकार्ट की शुरुआत करने वाले कौन थे ?
फ्लिपकार्ट के मालिक का इतिहास
फ्लिपकार्ट के फाउंडर सचिन बंसल (Sachin Bansal) और बिन्नी बंसल (Binny Bansal) है जो कि पहले Amazon.com के लिए काम करते हैं, उस दौर उनके दिमाग में इंडिया में एक ई-कॉमर्स कंपनी स्टार्ट करने का आइडिया आया।
सचिन बंसल और बिन्नी बंसल दोनो ही आईआईटी दिल्ली के छात्र रहे हैं और दोनो ही चंडीगढ़ के रहने वाले हैं। और उन्होंने अपनी खुद की कंपनी शुरू करने के लिए अमेज़न कंपनी छोड दी।
Flipkart का Business Model
80 श्रेणियों में 150 मिलियन से अधिक उत्पादों को मिलाकर, फ्लिपकार्ट देश की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक है।
ये बड़े-बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे- Twitter, YouTube के साथ-साथ Instagram अपने Products को बढ़ावा देने के लिए इनसे promotion करवाता है। बिजनेस टू कंज्यूमर मॉडल फर्म होने के नाते, यह अपने उपयोगकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा विकल्पों के साथ वस्तुओं का चयन करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
ग्राहकों के ऑनलाइन शॉपिंग पर अधिक से अधिक निर्भर होने और इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधा के साथ, ऑनलाइन खुदरा क्षेत्र में भविष्य में और विस्तार की संभावना है क्योंकि फ्लिपकार्ट अपने क्षेत्र के पक्ष में इस बदलाव का पूरा लाभ उठाना चाहता है।
फ्लिपकार्ट की शुरुआत
फ्लिपकार्ट पहले सिर्फ किताबें ही बिक्री करने के लिए थी लेकिन बाद में इस पर सब कुछ बिक्री होने लगा।
शुरू में फ्लिपकार्ट पर केवल किताबें ही बेची जाती थी लेकिन धीरे-धीरे इसका विस्तार हुआ और जल्द ही इसमें अलग-अलग तरह की चीज़े बेची जाने लगी। फ्लिपकार्ट भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग में एक आकर्षक तरीके से उभरी है।
जैसे-जैसे फ्लिपकार्ट की ग्रोथ होती गई वैसे-वैसे इसके लिए बहुत सारे निवेशक बढ़ने लगे। फ्लिपकार्ट ने इनवेस्टर्स के विश्वास को कायम रखते हुए कमाल का प्रदर्शन किया। 2008 -09 में क़रीब 40 million रुपये की कुल बिक्री की। और अगले ही साल ये बढ़कर 200 million रुपए हो गई।
कंपनी शुरू करने के 18 महीने बाद तक सचिन और बिन्नी बंसल को अपने खर्चे के लिए अपने माता-पिता से हर महीने दस हजार रुपये मांगने पड़ते थे। हालांकि, जब व्यापार विफल हो गया तो वे निराश नहीं हुए, जैसा कि 2009 में एस्सेल पार्टनर (इंडिया) में शामिल हुआ था।
एस्सेल पार्टनर ने फ्लिपकार्ट में 1 मिलियन डॉलर का निवेश किया। कंपनी बढ़ी और फ्लिपकार्ट को निवेशक मिले। 2010 में, टाइगर ग्लोबल ने भी फ्लिपकार्ट पर भरोसा जताया और 20 मिलियन डॉलर का निवेश किया। इसके बाद यह सिलसिला यूं ही चलता रहा।
वर्तमान में, कंपनी मोबाइल फोन और एक्सेसरीज, कंप्यूटर, लैपटॉप, किताबें और ई-बुक्स, घरेलू उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक सामान, कपड़े और एक्सेसरीज, स्पोर्ट्स और फिटनेस, बेबी केयर, गेम्स से 80 से अधिक श्रेणियों में 80 मिलियन से अधिक उत्पादों की सुविधा प्रदान करती है।
जैसा कि हर काम में समस्या आती है वैसे ही फ्लिपकार्ट में भी बहुत समस्या आयी थी, जानते है कि वो कौन-कौनसी समस्या थी।
प्रमुख समस्याएं
जिस दौरान फ्लिपकार्ट की शुरुआत हुई थी उस समय पर किसी भी ई-कॉमर्स कंपनी को दो बड़ी Problems का सामना करना पड़ा था। पहली कठिनाई थी ऑनलाइन भुगतान की, बहुत सारे लोग ऑनलाइन भुगतान नहीं करना चाहते थे, और ऑनलाइन भुगतान गेटवे सेटअप करने में Problem आ रही थी।
इसलिये फ्लिपकार्ट ने कैश ऑन डिलीवरी ऑप्शन इंट्रोड्यूस किया। फ्लिपकार्ट पहली ऐसी कंपनी थी जिसने पेमेंट के लिए कैश ऑन डिलीवरी ऑप्शन लॉन्च किया था। और आज की तारीख में सभी भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियां इस भुगतान विकल्प का Use कर रही है।
दूसरी समस्या सभी चीज़ो को समय पर देने की थी। सामान को टाइम पर डिलीवर करना भी एक ऐसा फैक्टर था जो कि एक ई-कॉमर्स कंपनी की सफलता को निश्चय करता है। फ्लिपकार्ट ने इस समस्या का समाधान भी किया अपना खुद का सप्लाई चेन मैनेजमेंट सिस्टम लॉन्च किया, जिससे प्रोडक्ट को टाइम पर डिलीवर करने में आसानी हो गई।
सचिन और बिन्नी बंसल मिंत्रा के संस्थापक मुकेश बंसल के साथ फ्लिपकार्ट ने मार्केट में अपनी मौजूदगी को और बेहतर करने के लिए अन्य कंपनियों को भी हासिल किया जैसा कि myntra.com और LetsBuy.com, Chakpak.com आदि।
अमेज़न कंपनी के भारत में एंट्री होने के बाद इन दोनो कंपनियों में मार्केट के अंदर अपनी value बढ़ाने के लिए कड़ा competition है।
फ्लिपकार्ट की छोटे सी किताब का ई-रिटेलर से लेकर इंडिया का सबसे बड़ा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनने की यात्रा बहुत सारे स्टार्टअप्स को प्रेरित करता है। आज की डेट में फ्लिपकार्ट की फ्रेश कैपिटल 1 बिलियन डॉलर है और इसमें 14000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर सचिन बंसल अपने एक इंटरव्यू में बताते हैं कि जब फ्लिपकार्ट की शुरुआत हुई थी तब वे बंगलौर की सड़कों पर जाकर बुक्स के स्मॉल डिस्ट्रीब्यूटर्स से ऑर्डर लेते थे, अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी को याद करते हैं वे बताते हैं कि –
“हम चर्च स्ट्रीट में गैंगराम बुक्स स्टोर के बाहर खड़े रहते हैं और उस स्टोर से बाहर निकलते हुए लोगो को फ्लिपकार्ट का बुकमार्क देते थे।
और वो कहते है कि हमेशा अपने लक्ष्य को ध्यान में रखें और उसके लिए हर समय कार्यरत रहे।
हाल ही में फ्लिपकार्ट को वॉलमार्ट ने ख़रीदा है, 1 लाख करोड़ रुपये में .. जिससे आप अंदाजा लगा सकते है कि 2 लाख से शुरू हुआ एक बिजनेस कहाँ से कहाँ पहुंच गया है।
दोस्तों, आपको फ्लिपकार्ट की सफलता की कहानी कैसी लगी? हमें कमेंट के जरिये जरुर बताये और अगर आपको ये पोस्ट पसंद आए हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर करें। धन्यवाद