Contents
Overcome Fear Life In Hindi
आज के इस समय में हमारे आसपास इतनी अधिक नकारात्मकता फैलती जा रही है जिसकी वजह से एक इंसान चाहकर भी अच्छा नहीं सोच पा रहा है इसके मन में न चाहते हुए भी गलत विचार चलते ही रहते है।
हमारे आस-पास के इस माहौल में जहाँ पर बस नकारात्मकता ही फैली हुई है वहाँ पर अपने लिए कुछ अच्छा सोच पाना और अच्छे से रह पाना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है।
एक इंसान के अंदर बहुत तरह के डर होते है क्योकि जितनी हमारी problem होती है उतनी ही हमारे अंदर डर छिपे होते है और हमारा mind भी उसी तरह का हो गया है जहाँ पर हम सिर्फ problem और उससे related डर को ही देख पा रहे होते है।
समय के साथ-साथ हमारी आदते भी ऐसी ही होती जा रही है क्योकि हम सिर्फ problem को ही देखते है कभी भी उसके solution पर जाते ही नहीं है जिससे ये डर हमारे अंदर बहुत गहरे घर कर लेते है और हम इसमें उलझते ही चले जाते है।
अगर हमारे अंदर किसी भी चीज़ का डर होता है तो हमको एक समय के बाद बांध देता है हमको कुछ भी नहीं करने देता है लेकिन अगर हमको समझ आ जाये की ये डर असल में क्या होता है तो हम किसी भी काम को आसानी से कर पाते है।
डर क्या होता है
इस दुनिया में हर इंसान डर को अलग-अलग तरीको से अनुभव करता है क्योकि हर इंसान के सामने हर समय अलग-अलग प्रकार की समस्या होती है उसकी वजह से उनके डर भी अलग-अलग होते है।
सबसे पहले तो हमको ये समझना होता है कि डर क्या होता है अगर हम गहराई से समझे तो डर दो प्रकार का होता है पहला तो physical और दूसरा psychological होता है तो हमको psychological डर को छोड़ देना होता है और physical डर पर काम करना होता है।
जो psychological डर होता है वो हमारी समझ से कम किया जाता है क्योकि जैसे- जैसे हमारी समझ गहरी होती जाती है वैसे ही यह डर भी कम होता जाता है तो हमें अपनी समझ को गहरा करना होता है और वो अपने ऊपर काम करने से होती है।
जैसे ही हम इस डर को समझ लेते है यह डर हमारे अंदर से गायब होने लगता है और हम खुल कर अपने काम को करने लगते है।
डर कब लगता है
Psychological डर में कोई planning काम नहीं आती है यहाँ पर सिर्फ और सिर्फ समझ काम आती है अब डर किस तरह से लगता है कि मै अगर कोई काम करुगा तो पता नहीं लोग क्या कहेगे और मेरे घर वाले क्या कहेगे।
अगर कोई भी चीज़ जिसको हमने न तो सीखा है और ना ही हमको वो करना आता तो हमको उससे डर लगता है पर जब हम उसको सीख जाते है उसके बाद हमको उस काम में डर नहीं लगता है।
जैसे मान लो कि हमको गाड़ी शुरुआत में चलानी नहीं आती जब तक नहीं आती है तब तक हमको उससे डर लग रहा होता है पर जब हमको आ जाती है तो हमको उससे related कोई डर नहीं लगता है।
इन दोनों के बीच के फर्क को हम देख लेते है तो उस हिसाब से हम act करने लग जाते है और वो psychological डर बिल्कुल खत्म हो जाता हो।
जैसे की अगर हमको किसी के सामने बोलने से डर लगता है और हम बोल भी नहीं पाते है तो अब यह हमारा डर psychological है या फिर physical डर है सबसे पहले तो हमको यह समझना होता है कि यह डर कौनसा है फिर उसके बाद अपनी understanding के base पर उसको समझना होता है।
अगर यदि इस डर को कम करना है तो हमको अपने आप से एक सवाल पूछना है कि मुझको ये डर क्यों लग रहा है तो फिर हमारा mind उसका जवाब ढ़ूढ़ने लग जाता है उस समय हमको ये देखना होगा कि सामने वाला हमसे क्या सवाल पूछ रहा है।
उस समय वहाँ पर हमको कितनी knowledge है वो भी बहुत मायने रखता है अगर हमको ज्यादा knowledge है तो हम ज्यादा confidence से उसका जवाब दे पाएंगे।
डर से मत डरो
हमारे अंदर एक डर जो की सबसे ज्यादा होता है कि लोग क्या कहेंगे अगर यह डर हमारे अंदर से निकल जाए तो फिर हमारा काम बहुत आसान हो जाएगा क्योकि उसके बाद हम जो भी काम करेंगे वो खुश होकर करेंगे।
जब भी हमारे अंदर कोई भी विचार आता है कुछ करने का तो एकदम से बीच में यह बात दिमाग में आ जाती है कि लोग क्या कहेगे और हम उसको करने से पहले ही छोड़ देते है सिर्फ यह ही एक वजह होती है कि हम अपने जीवन में कभी खुश नहीं रह पाते है।
जब भी हमारे अंदर किसी काम का डर होता है तो हम उस काम को अच्छे से नहीं कर पाते है क्योकि हम उस काम में अपना 100% नहीं दे पाते है हमारे mind में बस कुछ गलत होने का डर ही घूमता रहता है।
डर असल में कही बाहर नहीं होता है हमारे अंदर ही होता है क्योकि सुबह से लेकर रात तक जो भी हम अपने अंदर ही अंदर बोलते रहते है उसी से related हमारे अंदर विचार चलते रहते है।
जब भी हम कुछ गलत सोचते है तो हमारे साथ गलत ही होने लग जाता है इस दुनिया में जो भी गलत और सही होता है वो हमारे अंदर ही होता है असल में किसी में कोई फर्क नहीं होता है।
हमको अपने अंदर कुछ ऐसी विचार डालने है जो की हमारी समझ को गहरा करे क्योकि जब तक हमारी समझ गहरी नहीं होती है हम हमेशा डरते ही रहेंगे और कभी भी जीवन में खुश नहीं रह पाएंगे।
ख़ुशी का जो सीधा connection होता है वो हमारी thinking से होता है अगर हम कुछ अच्छा सोचते है तो हमारी life अच्छी ही बनती चली जाती है और कुछ गलत सोचते है तो life एक गलत track पर निकल जाती है।
“याद रखिये ‘डर’ की समाप्ति ही खुशी का रास्ता है, और ये रास्ता आपके मन से होकर गुज़रता है”