Biography Acharya Chanakya in Hindi
आचार्य चाणक्य इनको कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से जाना जाता था, इनके पिता का नाम चाणक इसलिए इनका नाम चाणक्य पड़ा।
बुद्धि के भगवान इनकी नीति पर चलकर कई साम्राज्य स्थापित किये थे, आज हमारे देश जितनी भी Ministry है जिनकी देख-भाल के लिए अलग-अलग लोगो को लगाया गया है ये उन सभी को अकेले ही देखते थे और अब से ऊपर Prime Minister जो की ये खुद थे, नालंदा के विश्वविधालय में ये एक Teacher थे, इसी के साथ-साथ ये बहुत से और चीज़ो को देखते थे।
ये समुन्द्र शास्त्र में भी माहिर थे, अगर ये किसी व्यक्ति के साथ बाते कर रहे है तो ये बता देते थे की सामने वाला व्यक्ति क्या सोच रहा है, उसके चेहरे को पढ़ लेते थे।
आचार्य चाणक्य की शुरुआती जीवन
जब चाणक्य छोटा था तब एक बार उनके घर पर एक ज्योतिषी आये और उनको चाणक्य की माँ ने उनकी पत्री दिखायी और कहाँ की इसके जीवन में तो आगे चलकर राज-योग लिखा है, ये इस देश का Prime Minister भी बन सकता है, ये सुनते ही माँ बोली ये कैसे सच हो सकता है?
ज्योतिषी बोला, इसकी पुस्टि के लिए तुम देखना चाणक्य के सामने वाले दांत पर नागराज का चिन्ह होगा, जब चाणक्य घर लोटा तो माँ ने देखा की उसके दाँत पर वो चिन्ह था, तो माँ रोने लग गयी बोली तू आगे चलकर प्रधानमंत्री बनने वाला है और तू तो मुझको भूल ही जायेगा, इतना सुनते ही चाणक्य ने एक पत्थर लिया और अपने उस दाँत को तोड़ दिया।
इस बात से पता चलता है ही चाणक्य को कभी सत्ता का लोभ नहीं था, वो चाहते तो महलो में रह सकते थे लेकिन एक झोपड़ी में रहते थे, वो हमेशा पहले जनहित के बारे सोचते थे, समाज के बारे सोचते थे बाद में अपने बारे में अपने बारे में सोचते थे।
एक घटना ने चाणक्य के जीवन का लक्ष्य पूरी तरह से बदल दिया।
उसके आगे चलकर वो तक्षिला के प्रधानचार्य बने और उन्ही दिनों सिकंदर पूरी दुनिया जितने भारत की तरफ आ रहा था और चाणक्य अखण्ड भारत के निर्माण के बारे में सोच रहा था, उसने सोचा की एक शक्तिशाली राजा को खड़ा किया जाये और उसके बाद वो अलग-अलग राजाओं से मिलने लगा।
उस समय मगध जो सबसे बड़ा साम्राज्य था जो आज बिहार, ओडिशा, u.p हुआ करता है, तो वहाँ का राजा धनानंद था, उससे चाणक्य मिलने गए और इन्होने पूरा जोर लगाया उसको influence करने का , उस समय वो राजा कर वसूलने में busy था तो उसने चाणक्य की एक न सुनी और बार-बार कहने पर राजा ने चाणक्य को धक्का मारा, जिससे उसकी सिखा खुल गयी और चाणक्य बोला जब तक तेरे इस साम्राज्य को उखाड़ ना फेंका तब तक मैं इस सिखा को नहीं बांधूगा।
अब चाणक्य को समझ आ गया था कि अब उसी को कोई राजा के खिलाफ खड़ा करना पड़ेगा। उसने एक जवान लड़के को training देनी शुरू की जिसका नाम था चंदु और आगे चलकर उसका नाम पड़ा चंद्रगुप्त मौर्य।
उसके बाद इतनी बड़ी सेना को धीरे-धीरे करके उन्होंने खत्म कर दिया, इस तरह से उनकी जीत हुई, अब जो जीता वो सिकंदर नहीं जो जीता वो चंद्रगुप्त मौर्य था।
जब उन्होंने सिकंदर को हराया तो उन्होंने सोचा की धनानंद को भी लगे हाथ हरा देते है लेकिन वो इतनी बड़ी सेना के सामने टिक न पाए और वो जान बचा कर निकल गए।
उसके बाद चाणक्य ने अलग-अलग नीतियों से धनानंद को हरा कर अखण्ड भारत का निर्माण किया।
चाणक्य जी ने अपने एक श्लोक में कहाँ था की जंगल में जो सीधे पेड होते है वो जल्दी काट दिए जाते है और जो टेढ़े पेड़ होते है वो सबसे बाद में काटे जाते है।
अब इस श्लोक से एक बात mind में आती है की कैसी life सही है सीधी-साधी या फिर टेडी-मेडी।
अगर कोई इंसान किसी के साथ बार-बार कुछ गलत कर करता है तो वो इंसान सीधा-साधा है या फिर बेवकूफ है पहले हमको इसको सही से समझना है
सीधा-साधा किसको कहेगे की कोई इंसान अपने फायदे के लिए सामने वाले का नुकसान न करे उसी को तो सीधा-साधा कहेगे।
अगर हम अपने फायदे के लिए किसी का भी नुकसान नहीं करते है तो वो एकदम सीधा-साधा रास्ता है अगर कोई इस रास्ते पर चलता है तो उसकी कभी भी किसी से भी दुश्मनी नहीं होगी।
अपने ऊपर रख कर देखे अगर कोई हमारे साथ कुछ गलत करता है तो जिंदगी भर के लिए उस पर गुस्सा आता है तो सोचो उसके कितने सारे दुश्मन हो जायेगे।
अगर वो सोचता है मेरे करने से सिर्फ इतना ही होगा लेकिन जरुरी थोड़ी है जितना हम गलत सोचकर करते है सिर्फ उतना ही बुरा होता है कई बार तो बहुत ज्यादा हो जाता है और वो एक के साथ ऐसा करेगा फिर दो के साथ धीरे-धीरे ये उसकी आदत ही हो जाएगी तो वो इंसान जियेगा क्या डर-डर जियेगा तो ऐसी life किस काम की है।
तो life में सीधे-साधे बनो मतलब की एक सीधा रास्ता पकड़ो और उस पर चलो लेकिन बेवकूफ मत बनो यानि की बेवकूफ का सबसे पहले कटता है
चाणक्य जी जिनको कभी भी किसी भी चीज़ का लोभ नहीं था वो पहले दुसरो के बारे में सोचते थे यानि पहले समाज के बारे में फिर कुछ बचा कुचा अपने बारे में सोचते थे एक झोपड़ी में रहते थे लेकिन वो बेवकूफ नहीं थे , बहुत समझदार थे
उनका मानना था की powerful बनो इसलिए नहीं की आपको दुसरो को दबाना है या फिर दुसरो के साथ गलत करना है इसलिए ताकि ये दुनिया आपको दबा ना सके !
चाणक्य नीति क्या है?
आर्य चाणक्य भारतीय इतिहास मे एक महान ज्ञानी, राजनीति विशेषज्ञ, विद्वान, अर्थशास्त्र विशेषज्ञ, और कुटनीति विशेषज्ञ थे। चाणक्य के विचार पूरे भारत वर्ष मे प्रसिद्ध है
इतिहास मे मगध राजा के दरबार मे किसी कारण से उनका अपमान हो जाने पर उन्होने नंद राजा के वंश का विनाश करने की शपथ ली थी।
नंद राजा के वंश का विनाश करके चाणक्य ने मौर्य वंश की स्थापना कीथी और अपने अखंड भारत के सपने को पूरा किया था।
पुरे विश्व मे चाणक्य के विचार प्रसिद्ध है। उनकी चाणक्य नीति जीवन के हर क्षेत्र मे अपनाई जाती है।
जीवन की हर नीतियाँ उनकी नीति के आगे फेल है, जो भी व्यकित उनके विचारों का अनुकरण करेगा वो व्यक्ति अपने जिंदगी मे कभी भी असफल नहीं हो सकता। उनके विचार पराजय पर विजय पाने की रामबाण दवा है, एकबार उनके विचार जरूर पढे।
आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र की रचना की थी। इस ग्रंथ में सुखी और सफल जीवन के लिए नीतियां बताई गई हैं। अगर इन सूत्रों को अपना लिया जाए तो हम कई परेशानियों से बच सकते हैं। चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि अगर किसी पर भरोसा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो हम भविष्य में धोखा खाने से बच सकते हैं।
आचार्य चाणक्य के वचन(Quotes)-
” दूसरों की गलतियों से सीखो, अगर अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने का प्रयास करोगे तो आयु कम पड़ जाएगी ”
” उस स्थान पर एक पल भी नहीं ठहरना चाहिए जहां आपकी इज्जत न हो, जहां आप अपनी जीविका नहीं चला सकते, जहां आपका कोई दोस्त नहीं हो और जहां ज्ञान की तनिक भी बातें न हो ”
” किस्मत के सहारे चलना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. ऐसे लोगों को बर्बाद होने में वक्त नहीं लगता है ”
” कोई भी व्यक्ति ऊंचे स्थान पर बैठकर ऊंचा नहीं हो जाता बल्कि हमेशा अपने गुणों से ऊंचा होता है ”
” जिस तरह एक सुगंध भरे वृक्ष से सारा जंगल महक जाता है, उसी तरह एक गुणवान पुत्र से सारे कुल का नाम रौशन हो जाता है ”
” ऋण, शत्रु और रोग को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए. इन्हें जल्द से जल्द चुका देना चाहिए ”
” भगवान मूर्तियों मे नहीं बसता. आपकी अनुभूति ही आपका ईश्वर है और आत्मा आपका मंदिर ”
” भाग्य भी उन्हीं का साथ देता है जो कठिन से कठिन स्थितियों में भी अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहते हैं ”
“शासक को स्वयं योगय बनकर योगय प्रशासकों की सहायता से शासन करना चाहिए।” ~ आचार्य चाणक्य
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस लेख ” Biography of Acharya Chanakya in Hindi ” के अंदर हमने आचार्य चाणक्य के बारे में बात की है,
आचार्य चाणक्य जी का एक बहुत ही प्रभावशाली था। इतिहास के अंदर उनका नाम बहुत ही सुनहरे अक्षरों के साथ में लिखा गया है। आचार्य चाणक्य को कभी भी जीवन में किसी भी चीज का लोभ और लालच नहीं था।
चाणक्य हमेशा लोगों के बारे में सोचते थे और बाद में खुद के बारे में सोचते थे। जिसकी वजह से उन्होंने अपनी सारी शिक्षा चंद्रगुप्त मौर्य को दे दी थी और उसको भी एक महान राजा बना दिया था।
आशा करते हैं कि आप को इस लेख के माध्यम से जरूर कुछ नई जानकारी सीखने को मिली होगी। अगर आपको यह लेख ” Biography of Acharya Chanakya in Hindi “अच्छा लगा अपने दोस्तों के साथ में शेयर जरूर करें धन्यवाद।