Fatigue Causes In Hindi
ऐसा दौर हर किसी के जीवन में आता है जब व्यक्ति किसी-न-किसी वजह से हताश और निराश हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति के अंदर धीरे-धीरे नकारात्मकता छाने लग जाती है और कई बार वह ऐसे कदम भी उठा लेता है जिससे भविष्य और भी उलझ जाता है।
यदि आपके साथ भी ऐसा हो रहा है और आप भी ऐसी problem से जूझ रहे हो तो कैसे आप इस हताशा और निराशा से मुक्ति पा सकते हैं। इसके बारे में हम आज आपको विस्तार से बताएंगे।
सबसे बड़ी उलझनों की वजह मन होता है :-
इंसान का मन कभी एक स्थान पर नहीं रुकता है, मन को नियंत्रित करना बहुत ही कठिन कार्य है। मन कभी अच्छी कल्पानाओं में खोया रहता है तो कभी बुरी। ऐसी स्थिति इंसान के जीवन में बहुत कम आती है जब मन शांत हो जाए और अच्छाई बुराई से ऊपर उठ जाए। हमारी निराशा औऱ हताशा का बहुत बड़ा कारण मन ही है।
भले ही हमारे पास सब कुछ हो लेकिन आपके मन के मुताबिक चीजें न हो रहीं हों तो आप हताश हो जाते हैं। हमारे धर्म-ग्रंथों में कहा गया है कि मन के घोड़ों पर जब तक लगाम नहीं लगाई जाती तब तक जीवन सही दिशा में नहीं जाता है। इसलिए इस पर लगाम लगाना बहुत आवश्यक हो जाता है।
हमारा मन हमेशा either या फिर or में भागता रहता है, अगर ये नहीं हो रहा है तो वो कर लेते है, और वो भी नहीं हो रहा होता है तो फिर कुछ और कर लेते है, हमेशा ऐसे ही भागता रहता है।
इसलिए यदि व्यक्ति मन को नियंत्रित कर ले तो नकारात्मकता खुद-ब-खुद दूर होने लगती है। तब ऐसी स्थिति आती है कि आपको न खुशी से अत्यधिक प्रसन्नता होती है न दुख से ज्यादा उदासी, ऐसी condition में आप अपने goal पर ही focus रहते है।
मन के नियंत्रित होते ही आपको जीवन की वास्तविकता का पता चल जाता है। जिससे बाद आपका मन आपके नियंत्रण में आएगा और निराशा भी दूर हो जाएगी।
निराशा के क्षणों को कभी भी जीवन पर हावी न होने दें। बल्कि जीवन के हताशा भरे क्षणों से कुछ सीखने का प्रयास करें। इन लम्हों से उबरकर आगे बढ़ना और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
फिर चाहे कामकाजी जीवन हो, personal relation या फिर स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां, इन सभी कारणों से हमारे जीवन में निराशा के क्षण आते हैं। कुछ ऐसे क्षण जब हम अपनी शक्ति और सामर्थ्य को कम महसूस करने लगते हैं। खुद को असमर्थ और असहाय पाते हैं।
लगने लगता है कि हम जीवन को आगे ले जाने में खुद को सामर्थ्यवान नहीं पा रहे हैं। निराशा के ऐसे क्षण हमें दुख भी देते हैं। लेकिन निराशा को जीवन पर हावी होने दिया जाए तो जीवन की स्वाभाविक गति प्रभावित होने लगती है इसलिए उन पलों से बाहर आ जाने का अर्थ ही जीवन है।
हार से सीखने का प्रयास करें :-
जब हम कोई भी कार्य करते है तो वो काम अगर बार-बार fail हो रहा होता है तो वहाँ पर हम पूरी तरह से टूटने लग जाते है, वो ही हमारी निराशा ही सबसे बड़ी वजह होती है।
असफलता और हार भी हमें बहुत कुछ सीखने का मौका देती है। जब भी हम हारते हैं या निराश होते हैं तब हम धैर्य रखना सीखते हैं। हम सफलता के लिए अधिक उद्यत होते हैं।
जब भी हार होती है तो उसे इस तरह ही देखें कि आपके प्रयास सफलता के लिए पर्याप्त नहीं थे और आपको सफलता के लिए और तैयारी की जरूरत है। निराशा में ही आशा छिपी होती है।
क्रिकेट के मैच में एक टीम हारती है लेकिन अगले मैच में वह इस हार को भुलाकर जीतने की कोशिश करती है अगर वो हार को देखकर अपना अगला मैच खेले तो वो कभी भी नहीं जीत सकते है।
ऐसे भी पर्वतारोही हैं जिन्हें पर्वत ने कई बार हराया लेकिन उन्होंने जीत के लिए साहस नहीं हारा और अंतत: पर्वत उनकी इच्छाशक्ति के आगे झुका। तो अपनी हार में उन कारणों को ढूंढने का प्रयास होना चाहिए जिनसे आप सफलता से दूर रहे और उन्हें सुधारने का प्रयास आपको विजेता बनाता है।
जब आप एक एक करके अपनी कमजोरियों पर काम करते हैं तो आप खुद को विपरीत परिस्थितियों के योग्य बना लेते हैं।
कभी कभी Life आपको दुःख के गहरे खाई में फेंक देता है, जहाँ आपको केवल और केवल अँधेरा ही नजर आता है। इस situation में आप ये नही समझ पाते की क्या करें। और सबसे जो बुरी बात है वो है आपका उदास हो जाना, यह normal है, जब भी आपको दुःख पहुँचता है आप उदास हो जाते हैं।
एक जगह Focus रखे :-
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिये आप मन को शांत कर सकते हैं। मन के शांत होते ही नकारात्मक विचार भी दूर हो जाते हैं। लेकिन इसे पहले दिन करके ही आपको फायदा मिल जाएगा ऐसा न सोचें प्रतिदिन कुछ समय ध्यान के लिए निकालें। इसकी शरुआत अपनी सांसों पर ध्यान लगाने से करें।
निराशा को आशा में कैसे बदला जा सकता है?
मनुष्य को अपना सुखी जीवन जीने के लिए सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। जीवन में ‘रात व दिन’ की तरह आशा व निराशा के क्षण आते जाते रहते हैं। आशा जहां जीवन में positive शक्ति का संचार करती है वहीं निराशा मनुष्य को पतन की तरफ ले जाती है। निराश मानव जीवन में उदासीन और विरक्त होने लगता है। उसे अपने चारों तरफ अंधकार नजर आता है।
निराशा का संबंध एकतरफा सोच भी है। साथ ही मनुष्य के दृष्टिकोण पर भी आधारित है, मनुष्य जिस तरह की भावनाएं रखता है वैसी ही प्रेरणाएं मिलती हैं। जो लोग स्वयं के लाभ के लिए जीवन भर व्यस्त रहते हैं उन्हें जीवन में निराशा, अवसाद, असंतोष ही परिणाम में मिलता है। यह एक बड़ा सत्य है कि जो लोग जीवन में परमार्थ सेवा एवं जनकल्याण का कार्य करते हैं उनमें आशा उत्साह होता है, जिसके आधार पर वह कठिन से कठिन कार्यो में सफलता प्राप्त करता है।
मनुष्य दूसरे की सेवा करके निराशा से बचता रहता है। परोपकार करने वाले लोगों पर कभी भी निराशा अपना दबाव नहीं बना पाती। निराशा तो एक ऐसी चीज़ है जो स्वयं को तो परेशान रखती है साथ दूसरों का भी कल्याण नहीं कर पाती है । जहां आशा है उत्साह है वहीं सफलता है।
आशा ही जीवन होता है :-
कार्य कैसा भी हो, यदि मनुष्य आशा और उत्साह के साथ करेगा तो पूरा होगा और यदि आशा व उत्साह की कमी है तो असफलता ही हाथ लगेगी। आशा को लेकर जीवन जीने में सफलता व आनंद, दोनों प्राप्त होते हैं।
निराश मनुष्य अपने कर्तव्यों को हीनभावना से देखता है और इस तरह से उसका जीवन दुखी रहता है। उसे सफलता की मंजिल नहीं मिलती। जितने भी महापुरुष, वैज्ञानिक हुए हैं वे सब आशा व उत्साह से भरे थे।
जो आशावादी उत्साही हैं उन्हें उनके जीवन में कभी भी दुख नहीं मिलता। जीवन संघर्षो से लड़कर जीने में ही मजा है और उसी में आनंद है, क्योंकि संघर्ष मनुष्य आशा को लेकर करता रहता है। आशा ही विजय, सफलता, सुख व आनंद सब कुछ दिलाती है ।
आशावादी होना वह विश्वास है जो हमें उपलब्धि की तरफ ले जाता है. बिना आशा व उम्मीद के कुछ भी नहीं किया जा सकता है ।