Focus on Yourself Goal In Hindi
इस दुनिया में स्वयं को जानना ही जीवन की सबसे बड़ी चुनौती है । इस चुनौती को स्वीकार करने वालों की सख्या बहुत ही कम होती है । फिर भी इस चुनौती को स्वीकार करते हैं । जो इस में सफलता प्राप्त कर लेते हैं । वहीं सबसे बड़ें ज्ञान को प्राप्त करते है।
मेरे विचार से स्वयं को जानना पहला और last ज्ञान (Knowledge) है। स्वयं को जानना एक आसान काम नहीं है, क्योंकि हमें लगता है कि हम अपने बारे में तो जानते ही हैं, अब और हमको क्या जानना।
हम असल में यहीं पर गलत हो जाते हैं और अपने को छोड़कर किसी और ज्ञान की खोज में चल पड़ते हैं। जिस दिन हमने अपने को संपूर्ण रूप से जान लिया, और कुछ जानने की आवश्यकता ही नहीं होगी।
हम जिन चीजों… शांति, प्रेम, ईश्वर, peace, money, name , fame जैसे सुखों की तलाश में भटकते हैं, वे सभी हमारे अंदर ही तो हैं। इन्हें स्वयं में खोजने के बजाय हम इधर-उधर ढूंढते हैं।
जबकि ये सभी हमें स्वयं की खोज करने से आसानी से मिल जाएंगी, परंतु स्वयं में इन्हें खोजने के लिए हमें स्वयं के साथ गंभीर होना होगा । स्वयं के ऊपर पूरी ईमानदारी से विचार करना होगा। इस तरह यदि हमने स्वयं को जान लिया, तो इससे बड़ा ज्ञान कोई हो ही नहीं सकता।
अगर आपने पूरे जग को जान लिया लेकिन आपने असल में खुद को नहीं जाना तो ये life आपके लिए meaningless होती चली जाएगी। क्योकि आप पागलो की तरह पैसो की तरफ ही भागते रहोगे।
पैसा इंसान की need होती है लेकिन आज के समय में बहुत से लोगो के लिए इससे बढ़कर और कुछ भी नहीं, उनको इसके अलावा और कुछ भी नजर नहीं आता है। जो भी बात हम आज कर रहे है ये बात असल में उनको समझ में नहीं आने वाली है। लेकिन जो actual में खुद को बदलना चाहते है, जो actual में खुद को जानना चाहते है ये बातें उनके लिए हो रही है।
एक व्यक्ति self realization करके खुद की अच्छाई और बुराई जान लें तो इससे बड़ा कोई ज्ञान नहीं। लोग ज्ञान की खोज में इधर -उधर भटकता रहते है। इंसान बहुत कुछ पाना चाहता है और दूसरों के बहकावे में अपना सब कुछ बर्बाद कर देता हैं। खुद का जानना इतना आसान भी नहीं, व्यक्ति में गलतफहमी भी होता हैं कि हम तो जो भी करते हैं सब अच्छा है।
लोग खुद को खोजने के बजाय प्रेम, ईश्वर, धन ,ज्ञान और सुख सुविधा के लिए भटकते रहते हैं। इंसान खुद की बुराई खत्म कर ले तो उससे बड़ा सुखी कोई दूसरा इंसान नहीं होगा।
ज्ञान की प्राप्ति के बाद स्वयं को जानना ही सबसे महत्वपूर्ण होता है हमें अपने आपको भी जानना चाहिए जिसने अपने को जान लिया समझ संसार के नियंता को जानने की दिशा निर्णायक पड़ाव तय कर लिया ।वह दूसरों को सरलता से जानेगा अपने जीवन का उद्देश्य व कर्तव्य आसानी से निभा सकेगा ।
खुद को जानने का मतलब कि खुद की reality को as it is देख लेना, जब हम किसी भी चीज़ की reality को clearly देख लेते है तो वो होता जानना।
मानव का स्वभाव ऐसा है कि वह दूसरों की ताका-झाँकी करने, आलोचना करने, व्यर्थ के कामों में रुचि लेता है उतना तो क्या, थोड़ा सा भी अपने को जानने में रुचि नहीं लेता। परिणाम… न तो वह किसी विषय का ज्ञाता बन पाता है और न ही स्वयं अपने विषय में जान पाता है।
दूसरों को जानने के व्यर्थ के प्रयास में लगा वह स्वयं से अपरिचित ही बना रह जाता है। जब हम स्वयं को जानने का प्रयास करते हैं तो अपने गुणों-अवगुणों से परिचित होते हैं। ऐसी स्थिति में अपने गुणों को और निखार सकते है, अवगुणों का परिष्कार कर उन्हें दूर कर सकते हैं।
इसे ही सरल शब्दों में हम आत्म ज्ञान कह सकते हैं। आत्म ज्ञान से परिपूरित व्यक्ति अपने में सब प्राणियों को और सब प्राणियों को अपने में देखता है।
खुद को जानना एक इंसान के लिए क्यों ज़रूरी है ?
हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है? यदि हमें इस प्रश्न का answer खोजना है तो इसकी तलाश खुद के भीतर से ही प्रारंभ करनी होगी, खुद को समझ लेने के बाद ही संसार से प्राप्त ज्ञान का सही उपयोग हो पाता है नहीं तो यह ज्ञान खोखला ही साबित होता है जो सिर्फ हमारे भीतर अहंकार का ही पोषण करता है।
इससे पहले कि हम यह जानें कि हम क्या होगें, यह जान लेना जरूरी है कि हम क्या हैं? हम जो भी हैं उसे पहचानकर, समझकर ही उस भविष्य की रचना की जा सकती है जो अभी तक हमारे भीतर कहीं सो रहा है।
ज्ञान और जानकारी में फर्क है जो हमें अपने भीतर से, खुद को खोजने से, खुद के विषय में प्राप्त होता है वही ज्ञान है बाकी जो कुछ हम संसार से सीखते हैं वो जानकारी है। हममें से ज्यादातर लोगों के पास जानकारी तो बहुत है पर ज्ञान बहुत अल्प या नहीं के बराबर है।
जब इंसान खुद को जान लेता है तो वहाँ से वह अपनी life पर पूरी तरह से control कर सकता है और वो खुद को जो चाहे वो direction दे सकता है।
हम हमारी ज़िन्दगी में दूसरों की बातों ओर दूसरों से सीखने ओर देखने में लगा देते है और साथ ही साथ खुद को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास पर प्रयास करते रहते है पर बहुत सी बार हमे सफलता नहीं मिल पाती है और हम निराशा की ओर आगे बढ़ते जाते है।
ऐसी परिस्थिति में हमे अपने लोगो की सफलता भी काटने को दौड़ती है हम हर बार दुसरों को देखकर खुद का आंकलन करने लगते है और उनसें अपने आप को जोड़ने लगते है ओर तुरन्त ही अपने आप को कम समझने लगते है।
खुद को जानने का मतलब कि हमको पता लग जाता है कि क्या चीज़ हमारे लिए सबसे important है, किस के ऊपर हमको सबसे ज्यादा focus करना है और कहाँ पर नहीं करना है।
खुद को कैसे जानें ?
उसके लिए आप को शांत रहने की जरूरत होती है। किसी शांति वाले स्थान का चुनाव करें जहाँ पर खुला space हो,फिर आँखे बंद करके धीरे धीरे लंबी साँस लें। और अपना सारा ध्यान अपनी साँस पर केंद्रित करें।
कुछ देर बाद लगभग 10 मिनिट बाद आप का mind बेहद शांत और केंद्रित हो जाएगा। तब आप अपने शरीर के अंदर हो रही गतिविधियों का अवलोकन करें।
आप इस समय अपने thought, feeling, emotion के बारे में जान सकते हो, अपने mind को observe कर सकते हो।
यदि यही क्रिया आप रोज सुबह और शाम करेंगे तो आप समझ जाएँगे अपने व्यवहार को और साथ ही अपने आपको भी।
आत्मज्ञान सबसे बड़ा ज्ञान होता है :-
लोग दुनिया को जानने की बात तो करते हैं, पर स्वयं को नहीं जानते, जानते ही नहीं, बल्कि जानना ही नहीं चाहते. खुद को जानना ही दुनिया की सबसे बड़ा ज्ञान है।
जो खुद को नहीं जानता, वह भला दूसरों को कैसे जानेगा? दूसरों को भी जानने के लिए पहले खुद को जानना आवश्यक है. इसलिए बड़े महानुभाव गलत नहीं कह गए हैं कि जानने की शुरुआत खुद से करो।
इंसान अपनी पूरी जिंदगी भागता ही रहता है लेकिन असल में ये पूरा universe उसी के अंदर होता है, लेकिन जीते जी इंसान उसको कभी जान ही नहीं पाता है, लेकिन जो भी इस post को पढ़ रहे वो खुद को जानने की शुरुआत कर सकते है क्योकि आत्मज्ञान (self-knowledge)से बड़ा ज्ञान कोई हो नहीं सकता है।