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    Home » Hindi moral stories for class 5 (motivational) | Moral stories in Hindi for class 5
    Motivation in Hindi 22 Mins Read

    Hindi moral stories for class 5 (motivational) | Moral stories in Hindi for class 5

    Mahesh YadavBy Mahesh YadavUpdated:April 19, 202122 Mins Read
    Hindi Moral Stories for class 5
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    I have written awesome Hindi moral stories for class 5. These are best 7 Moral stories in Hindi for class 5। मैंने आपके लिए बेहतरीन सात हिंदी नैतिक कहानियां लिखी है।

    Contents

    Hindi moral stories for class 5

    Hindi moral stories for class 5

    नैतिक सीख के लिए सात कहानियाँ


    1. तोता और चने की दाल (Hindi Stories for class 5)


    2. तोता और चने की दाल (Hindi Stories for class 5)

    एक बार एक तोता शहर घूमने जा रहा था। उसे एक जगह खूटे पर एक चना मिला। उसे देखकर तोता तुरन्त चना फोड़ने लगा। चने की एक दाल खूटे में घुस गई। दूसरी को तोता खा गया। फँसी हुई दाल को निकलवाने के लिए तोता बढ़ई के पास पहुँचा और बोला, “आप छूटा चीरकर दाल निकाल दीजिए।”

    बढ़ई बोला,“क्या मैं तुम्हारा चाकर हूँ कि दाल निकालूं।”

    तोता राजा के पास गया और राजा से बोला,“आप बढ़ई को मारें।”

    राजा बोला, “मैं कोई तुम्हारा “चाकर हूँ कि बढ़ई को मारूँ।”

     तोता रानी के पास गया और बोला,“रानी तुम राजा को छोड़ दो तो राजा बढ़ई से दाल निकालने के लिए कहे।”

    रानी बोली,“तू भाग यहाँ से।”

    फिर तोता साँप के पास पहुँचा और बोला,“तुम रानी को डसो।”

    साँप बोला,“भाग यहाँ से।”

    तोता वहाँ से भागा और लाठी से बोला,“तुम साँप को मारो, फिर वह रानी को डसे, रानी राजा को छोड़ दे तो राजा बढ़ई को मारे तो बढई दाल निकाले।

    तब लाठी बोली,“जा, भाग यहाँ से।”

    तब तोता आग के पास गया और उससे बोला,“लाठी को जलाओ।” आग ने भी उसको भगा दिया। 

    तब तोता पानी के पास गया और बोला,“तुम आग को बुझाओ।” पानी ने भी तोते को भगा दिया। 

    फिर तोता हाथी के पास गया और बोला,“पानी को सोख लो।”

    हाथी ने कहा, “मुझसे नहीं होगा” और उसे भगा दिया। 

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    तोता तब चींटी के पास गया

    और बोला,“चलो हाथी को चाबो।” चींटी चली हाथी को चाबने। 

    तब हाथी बोला,“चींटी बहन तुम मुझे मत चाबो, मैं पानी सोखने जाता हूँ।”

     तब पानी बोला,“हाथी भैया तुम मुझे मत सोखो, मैं आग बुझाने जाता हूँ।”

     तब आग बोली,“पानी तुम मुझे मत बुझाओ, मैं लाठी जलाने जाती हूँ।” 

    लाठी बोली,“आग तुम मुझे न जलाओ, मैं साँप मारने जाती हूँ।”

     साँप बोला,“तुम मुझे मत मारो, मैं रानी को डसने जाता हूँ।”

     रानी बोली,“तुम मुझे न डसो, मैं राजा को छोड़ देती हूँ” 

    राजा बोला,“रानी तुम मुझ को मत छोड़ो, मैं बढई को कहने जाता हूँ।”

    राजा ने बढ़ई से कहा,“जाओ खूटे को चीरकर दाल निकाल दो।” 

    बढ़ई ने खूटा चीरा और दाल निकाल दी। तोता दाल खाकर शहर चला गया। 

    नैतिक सीख:

    Hindi moral stories for class 5: इस कहानी से हमें दो महत्वपूर्ण सीख मिलती है। जो हमें जीवन में बहुत काम आ सकती है।

     हमने देखा की जब तोते ने बढ़ई से पहले दाल निकल ने को कहा तब बढ़ई ने उसे बहुत बुरी तरह से भगा दिया। पर तोते ने उस बढ़ई से अपनी दाल को कुछ भी करके निकलवाया। इसलिए हमें उस तोते की तरह हार नहीं माननी चाहिए। 

    जब तोता सब के पास गया पर किसने मदद नहीं की पर एक छोटी सी चींटी ने उसकी मदद की। और उस छोटी सी चींटी की वजह से ही वह तोता दाल को निकलवाने में सफल हुआ। इसलिए कभी-कभी कोई छोटी सी चीज़ भी आपको सफल बनाने के लिए काफी होती है।

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    Moral of this story:

    Hindi moral stories for class 5, Moral stories in Hindi for class 5: We get two important lessons from this story. Which can be very useful in our life.

     We saw that when the parrot asked lentils before the carpenter, then the carpenter drove him very badly. But the parrot got lentils by doing anything. So we should not give up like that parrot.

    When the parrot went to everyone but anyone did not help him, but a small Ant helped him. And because of that little ant, he succeeded in getting the lentil. So sometimes even a small thing is enough to make you successful.


    2. किसान और भालू

    (Moral stories in Hindi for class 5) 


    किसान और भालू (Moral stories in Hindi for class 5) 

    एक किसान आलू बोने के लिए जंगल गया। वह हल चला ही रहा था कि वहाँ एक भालू आ गया। भालू ने कहा, “किसान, मैं तेरी हड्डी-पसली तोड़ डालूंगा।”

     “नहीं . ऐसा नहीं करो, प्यारे भालू। इसकी बजाय, आओ, हम मिलकर आलू बोएँ। मैं उसकी जड़ें ले लूँगा और तुम्हें उसके पत्ते दे दूंगा।”

     भालू बोला,“ठीक है। अगर धोखा दोगे, तो फिर कभी भूलकर भी जंगल में पैर नहीं रखना।”

    कुछ समय बाद खूब बड़े-बड़े आलू पैदा हुए। पतझड़ में किसान उन्हें निकालने के लिए आया। उसी वक्त भालू भी जंगल से निकलकर सामने आ गया और बोला,“किसान, आओ, आलू की फसल बाँट लें। मेरा हिस्सा मुझे दे दो।” 

    “अच्छी बात है, बाँट लेते हैं, प्यारे भालू! ये रहे तुम्हारे पत्ते और ये रही मेरी जड़ें।” किसान ने भालु को सारे पत्ते दे दिए और आलुओं को घोड़ा-गाड़ी में लादकर बेचने चल दिया। 

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    रास्ते में भालू फिर मिला। “किसान तुम कहाँ जा रहे हो ?” भालू ने पूछा।

    “प्यारे भालू, मैं जड़ें बेचने के लिए शहर जा रहा हूँ।” किसान ने जवाब दिया।

    “एक जड़ तो दो, मैं चखकर देखू।” भालू बोला।

    किसान ने उसे एक आलू दिया। भालू ने उसे खाया और गुस्से से गरजते हुए बोला, “अरे किसान, धोखा दिया है तुमने मुझे। अब तुम लकड़ी काटने के लिए जंगल में नहीं आना, नहीं तो हड्डी-पसली तोड़ दूंगा।” 

    अगले साल किसान ने उसी जगह पर गेहूँ बोया।

    वह फसल काटने आया, तो भालू को वहाँ खड़ा पाया। “अब तू मुझे धोखा नहीं दे पाएगा, किसान। दे मेरा हिस्सा”, भालू बोला।

     किसान बोला,“ऐसा ही सही। प्यारे भालू, तुम ले लो जड़ें और मैं पत्ते ही ले लेता हूँ।” 

    दोनों ने फसल बटोरी। किसान ने भालू को जड़ें दे दी और गेहूँ को घोड़ा-गाड़ी में लादकर घर ले गया।

     भालू जड़ों को चबाता रहा, मगर चबा न पाया। वह किसान से बेहद नाराज़ हो गया।

    नैतिक सीख:

    Hindi Stories for class 5: जैसे किसान ने उस भालू के सामने अक्ल से काम लिया। ठीक उसी तरह हमें भी कोई भी परेशानी अगर जीवन में आये तो उस किसान की तरह शक्ति के बदले अक्ल से काम लेना चाहिए। 

    Motivational speech by Ravi Dubey

    Moral of this story:

    Hindi moral stories for class 5, Moral stories in Hindi for class 5, Hindi story with moral for class 5: As the farmer acted with wisdom in front of that bear. In the same way, if we also face any problem in life, then we should use a mind like that farmer instead of power.


    3. शलजम (Hindi Stories for class 5)


    3. शलजम

    एक बूढ़े ने शलजम बोया और कहा, “उगो-उगो, शलजम, मीठे बनो। उगो-उगो, शलजम, मज़बूत बनो।” 

    तो उग आया मीठा-मीठा, बहुत ही बड़ा शलजम। बूढ़ा उसे निकालने के लिए गया। वह उसे खींचता रहा, अपना पूरा ज़ोर लगाकर खींचता रहा, मगर शलजम को निकाल न पाया। तो उसने बुढ़िया को बुलाया। 

    बुढ़िया ने थामा बूढ़े को, बूढ़े ने थामा शलजम को। दोनों उसे खींचते रहे, अपना पूरा ज़ोर लगाते रहे, मगर शलजम को निकाल न पाए।

     अब बुढ़िया ने पोती को बुला लिया। पोती ने थामा दादी को, दादी ने थामा दादा को, दादा ने थामा शलजम को। सभी मिलकर उसे खींचते रहे, पूरा ज़ोर लगाते रहे, मगर शलजम को निकाल न पाए।

     तब पोती ने बुलाया अपने कुत्ते को। कुत्ते ने थामा पोती को, पोती ने थामा दादी को, दादी ने थामा दादा को, दादा ने थामा शलजम को। सभी मिलकर उसे खींचते रहे, अपना पूरा ज़ोर लगाते रहे, मगर शलजम को निकाल न पाए। 

    फिर कुत्ते ने बुला लिया बिल्ली को। बिल्ली ने थामा कुत्ते को, कुत्ते ने थामा पोती को, पोती ने थामा दादी को, दादी ने थामा दादा को, दादा ने थामा शलजम को। सभी मिलकर उसे खींचने लगे, अपना पूरा ज़ोर लगाते रहे और निकाल लिया उन्होंने शलजम को।

    नैतिक सीख:

    Hindi moral stories for class 5: आप ने इस कहानी में देखा की जब दादा अकेले शलजम को खींच रहे थे तब वह अकेले खींच नहीं पाए। पर जब दादी, पोती, उनका  कुत्ता और बिल्ली एकसाथ आये तब उन्होंने उस शलजम को खींच डाला। ठीक इसी तरह कोई मुश्किल से भी मुश्किल काम अगर हम एकसाथ मिलकर एकता से काम ले तो हम उसमे ज़रुर सफलता हासिल कर सकते है।

    Moral of this story:

    Hindi moral stories for class 5, Moral stories in Hindi for class 5, Hindi story with moral for class 5: You saw in this story that when Dada was dragging the turnip alone, he could not pull it alone. But when grandmother, granddaughter, their dog, and cat came together, they pulled that turnip. In the same way, if we work together in unity with hardly any difficult work, then we can surely achieve success in it.


    4. अक्लमन्द बकरी


    4. अक्लमन्द बकरी (Hindi Stories for class 5)

    एक पहाड़ की गुफा में जंगली बकरियों का एक झुण्ड रहता था। उस गुफा के नीचे एक दूसरी गुफा में सियारों का एक जोड़ा रहता था। जब भी कोई बकरी झुण्ड से अलग होती तो सियार उसे मारकर खा जाते।

     झुण्ड की सरदार बकरी ने देखा कि बकरियाँ कम होती जा रही हैं। उसने सोचा ज़रूर दुष्ट सियार उन्हें मारकर खा रहे होंगे। मैं अपनी बकरियों को सावधान रहने के लिए कहूँगी।

     उसने बकरियों को बुलाकर कहा, “अकेले बाहर मत जाया करो नहीं तो वे चालाक सियार तुम्हें खा जाएँगे। तुम लोग झुण्ड में ही बाहर निकला करो।” 

    बकरियों ने अपनी सरदार की चेतावनी पर खूब ध्यान दिया। वे सदा झुण्ड में घूमने लगीं। इससे सियार अब उनमें से किसी को भी मार नहीं पा रहे थे।

     नर सियार समझ गया

    कि बकरियाँ अपनी सरदार के कारण ही इतनी सावधान और चोक्कस रहती हैं। वह अपनी पत्नी से बोला,“जब तक यह सरदार बकरी है हम किसी बकरी को मारकर खा नहीं सकते। हमें किसी तरह से उसे ही मार डालना चाहिए। मेरे पास एक तरकीब है मगर उसमें मुझे तुम्हारी सहायता चाहिए।”

    मादा सियार ने पूछा, “मैं तुम्हारी क्या मदद करूँ ?” 

    “तुम सरदार बकरी से दोस्ती कर लो। फिर उससे कहो कि मैं मर गया हूँ और मुझे मिट्टी में दबाने के लिए तुम्हें उसकी मदद चाहिए। फिर तुम उसे यहाँ ले आना। जैसे ही वह गुफा में घुसेगी मैं उस पर झपट पडूंगा और उसे मार डालूँगा।” 

    मादा सियार इन सब बातों से सहमत हो गई। पहाड़ की ढलान पर जाकर उसने सरदार बकरी से दोस्ती कर ली।

     कुछ दिन बाद मादा सियार ने बकरी से कहा,“एक बुरी खबर है। पिछली रात नर सियार अचानक मर गया। मुझे बहुत अकेलापन महसूस हो रहा है। ऐसा कोई भी नहीं है जो मेरी मदद करे। केवल तुम ही मेरी सखी हो। क्या तुम उसका शरीर मिट्टी में दबाने में मेरी सहायता करोगी ?”

    बकरी ने कहा,“सखी, मुझे तुम्हारे नर सियार से अब भी डर लगता है। मैं तुम्हारी गुफा में नहीं जा सकती।”

    “डरो मत।” मादा सियार बोली,”मरा हुआ सियार तुम्हारा क्या बिगाड़ सकता है ? कृपाकर मेरी मदद करो।”

    बहुत कहने पर बकरी मादा सियार के साथ जाने के लिए तैयार हो गई।

     लेकिन उसे शक था, इसलिए उसने सोचा कि वह पूरी सावधानी बरतेगी। उसने गुफा का रास्ता दिखाने के लिए मादा सियार से आगे-आगे चलने को कहा। मरने का बहाना कर लेटे हुए नर सियार ने जब पैरों की आहट सुनी तो वह अधीर हो उठा। उसने ज़रा-सा सिर उठाया और एक आँख से देखा।

    बकरी पहले से ही चोक्कस थी।

    उसने यह सब देख लिया। वह मुड़ी और वहाँ से भाग गई।

     मादा सियार उसके पीछे-पीछे भागी और उसे वापस आने के लिए कहने लगी। लेकिन बकरी ने सीधे घर पहुँचकर ही साँस ली। 

    मादा सियार वापस अपनी गुफा में आ गई। नर सियार ने उससे पूछा, “अब क्या करें ? बकरी को फिर से यहाँ कैसे लाएँ ?”

    “मैं उसे वापस लाने की कोई न कोई तरकीब निकाल ही लूँगी।” यह कहकर मादा सियार फिर बकरी के पास पहुंची। 

    उसने बकरी से कहा,“तुम्हारा हमारे घर आना तो वरदान साबित हुआ। मेरा सियार जीवित हो गया। हम बहुत खुश हैं और चाहते हैं कि आज रात तुम हमारे साथ दावत खाओ।” 

    बकरी को पता था

    कि इन सियारों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। उसने सोचा कि इन दोनों को इतनी आसानी से नहीं छोड़ना चाहिए। इन्हें ऐसा पाठ पढ़ाना चाहिए जो इन्हें उम्र भर याद रहे। 

    उसने मादा सियार से कहा, “मुझे यह सुनकर बड़ी खुशी हुई कि तुम्हारा सियार जीवित है। शाम को मैं ज़रूर दावत खाने आऊँगी और मेरा एक साथी भी मेरे साथ आएगा।” 

    मादा सियार ने पूछा,“तुम्हारे साथ कौन आएगा ?” 

    बकरी ने उत्तर दिया,”एक शिकारी कुत्ता। यहाँ का सबसे बड़ा शिकारी कुत्ता। आज रात तुम हमारी राह ज़रूर देखना।”

    यह सुनकर मादा सियार बहुत डर गई। वह भागी-भागी अपनी गुफा में पहुँची और नर सियार से बोली,”चलो यहाँ से तुरन्त भाग चलें।” 

    अपनी जान बचाने के लिए दोनों वहाँ से भाग गए और फिर कभी उस गुफा में नहीं आए।

    नैतिक सीख:

    Hindi Stories for class 5: इस कहानी की उस बकरी की तरह हमें कभी भी अपने दुश्मन पे भरोसा नहीं करना चाहिए। बल्कि अपने दुश्मनो से सतर्क रहना चाहिए। क्योकि इस कहानी की तरह दुश्मन आप को नुकशान पहोचाने के लिए आप से मीठी-मीठी बातो के जरिये आपका भरोसा जितने का प्रयास करता है। इस कहानी में अगर वह बकरी उस मादा सियार की बातों में आ गई होती और सतर्कता नहीं रखी होती तो वह सियार का शिकार बन जाती। 

    Moral of this story:

    Hindi moral stories for class 5, Moral stories in Hindi for class 5: We should never trust our enemy like that goat in this story. Rather, be cautious with your enemies. Because like this story, the enemy tries to win your trust by sweet talk to you to harm you. In this story, if that goat had come in the talk of that female jackal and had not kept vigil, she would have become a victim of jackal.


    5.  चिड़िया और राजा (Hindi Stories for class 5)


    5. चिड़िया और राजा

     एक चिड़िया को कहीं से एक मोती मिला। चिड़िया ने उसे अपनी नाक में पहन लिया। फिर वह राजा के महल पर जा बैठी और गाने लगी, “मैं राजा से बड़ी, मेरी नाक में मोती।” 

    यह सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया। उसने अपने आदमियों से कहा, “चिड़िया का मोती छीन लाओ।” उन्होंने जाकर झट से चिड़िया से मोती छीन लिया।

    अब चिड़िया पहले वाला गाना छोड़कर दूसरा गाना गाने लगी,“राजा भिखारी, मेरा मोती छीन लिया।” 

    यह गीत सुनकर राजा बड़ा शरमाया। उसने चिड़िया को उसका मोती लौटा दिया।

     मोती मिलने पर चिड़िया ने एक ओर नया गीत शुरू किया,“राजा तो डर गया, मेरा मोती दे दिया।” यह गीत सुनकर राजा गुस्से से लाल हो गया।

     उसने चिल्लाकर कहा, “पकड़ लाओ इस बदमाश चिड़िया को।” उसके आदमी चिड़िया को पकड़ने के लिए दौड़े मगर चिड़िया फर्स्ट से उड़ गई। राजा हाथ मलता रह गया।

    नैतिक सीख:

    Hindi Stories for class 5: इस छोटी सी कहानी से हमें बहुत बड़ी सीख मिलती है की हमें अपनी भावनाओ पर काबू रखना चाहिये। हमें उस राजा की तरह नहीं होना चाहिए। वह राजा उस छोटी सी चिड़िया की बातो में आकर उस से मोती छीन लेता है। फिर वह कुछ ओर कहती है और वह फिर उससे मोती दे देता है। हमें इस तरह से भावनाओ के गुलाम नहीं बनाना चाहिए। बल्कि हमें भावनाओ को नियंत्रण में रखना चाहिए।

    Moral of this story:

    Hindi moral stories for class 5, Hindi story with moral for class 5: We learn a lot from this short story that we should control our emotions. We should not be like that king. The king comes to that small bird and snatches the pearl from it. She then says something else and he again gives her the pearl. We should not make slaves of emotions in this way. Rather we should keep emotions under control.


    6.  देहाती चूहा, शहरी चूहा


    6. देहाती चूहा, शहरी चूहा

    एक छोटा सा चूहा देहात में रहता था। उस बेचारे जीव के लिए जीना सरल न था। उसे भुट्टे, जौ, बीज के लिए काफी भाग दौड़ करनी पड़ती थी। इन्हें वह अपने भण्डार में सर्दियों के लिए दबाकर रखता था। 

    सर्दियों में उसे अपना बिल पेड़ के नीचे खोदना पड़ता था और पत्तों से अपने आपको हँकना पड़ता था। लेकिन उसके खाने के लिए पर्याप्त सामग्री थी एवं सोने के लिए आरामदेह खेत था। वह इस वातावरण में बहुत खुश था।

     एक दिन देहाती चूहे ने अपने भण्डार की तरफ देखा। वह पूरा भर गया था। उसने सोचा कि उसके पास खाने को पर्याप्त है और मौसम भी अच्छा है। क्यों ना अपने चचेरे भाई, शहरी चूहे को बुलाकर कुछ समय के लिए अपने साथ रखा जाए। वह देहात में अपनी छुट्टियाँ अच्छी तरह से बिता सकेगा।

    शहरी चूहा कुछ दिनों बाद आया।

      दोनों भाइयों के पास बात करने के लिए बहुत कुछ था। वे काफी समय से आपस में नहीं मिल पाए थे। 

    लेकिन जब देहाती चूहे ने रात का भोजन परोसा तो शहरी चूहा उदास हो गया। शहरी चूहा बोला, “क्या तुम्हारे पास खाने के लिए सिर्फ दाने, जौ और सूखे फल ही हैं ? मेरा ऐसी दावत खाने का बिलकुल विचार नहीं था।” 

    देहाती चूहा कुछ न बोला। रात को वे पेड़ के नीचे नम घास पर सोए। 

    दूसरे दिन सुबह शहरी चूहा कॉपता हुआ उठा और बोला, “यह तुम्हारा आराम करने का अच्छा ढंग है। मैं जमने की हद तक ठण्डा हो गया हूँ। रात में ठीक से ऑख तक नहीं झपकी।” 

    देहाती चूहे ने कहा, “मुझे खेद है।” 

    लेकिन शहरी चूहे ने बात को उदारता से लिया और कहा,”अफसोस मत करो भाई। आओ और मेरा शहर देखो। तुम देखोगे कि यहाँ और वहाँ में क्या अन्तर है। हम अच्छा खाएँगे, पिएँगे। मेरे पास बड़ी आरामदेह बिल है जहाँ हम सोएँगे। मेरे साथ आओ और शहरी जीवन का मज़ा लो।” 

    Moral stories in Hindi for class 9

    देहाती चूहा मान गया।

    दोनों चूहे शहर की तरफ चल पड़े। उन्हें घर पहुँचने में रात में काफी देर हो गई थी। उस दिन उन्होंने बड़ा अच्छा भोजन किया। मेज़ अच्छी अच्छी खाने वाली चीज़ों से भरी थी। मेज़ के चारों तरफ लाल मखमल के गद्दे लगे हुए थे और सबकुछ आरामदायक था।

     शहरी चूहे ने उसे बैठने के लिए आमंत्रित किया और कहा,“मैं तुम्हारे लिए खाने की बढ़िया वस्तुएँ लाता हूँ।”

    उसने पनीर और रोटी का छोटा टुकड़ा, सलाद, केक, अखरोट आदि देहाती चूहे को दिए। देहाती चूहे ने खाते हुए अपने भाई के शहरी जीवन को सराहा। 

    अभी दोनों चूहों ने कुछ ही टुकड़े खाए थे कि दरवाज़ा खुला और घर का मालिक अन्दर घुस आया। 

    दोनों चूहे नीचे कूद गए और डरकर मेज़ के नीचे छिप गए। देहाती चूहा काँप रहा था। उसने किसी को कहते सुना, “इस मेज़ पर कौन था ?”

    फिर किसी ने दोबारा दरवाज़ा खोला और तीन चिंघाड़ते और सूंघते हुए कुत्तों को अन्दर घुसा दिया।

    “ओह, मेरे भगवान !” देहाती चूहे ने शहरी चूहे के साथ कमरे के चारों तरफ भागकर जान बचाते हुए कहा।

    जहाँ कहीं भी वह छिपने की कोशिश करते कुत्ते सूंघ लेते और उनकी तरफ बढ़ते।

     अन्त में चूहों को एक छोटा-सा छेद मिल गया जहाँ वे आराम से घुसकर बचाव कर सकते थे। वे बैठे-बैठे घबरा रहे थे क्योंकि जब भी उन्होंने भागने के लिए सिर बाहर निकाला कोई न कोई कुत्ता फिर भौंक जाता।

    घण्टों बाद,

      जब कुत्ते और लोगों ने कमरे को छोड़ दिया तो देहाती चूहा सहमा, सँघता बाहर आया। वह अब भी काँप रहा था। काफी देर छेद में रहने के कारण वह अकड़ गया था।

    हालाँकि वहाँ कोई नहीं था, देहाती चूहे ने कहा, “मुझे डर लग रहा है और मैं वापस जा रहा हूँ। तुम्हारी आवभगत का धन्यवाद। मैं महसूस करता हूँ कि अपनी फसलें, जौ, बीज और सर्दियों की ठण्डी हवाएँ तुम्हारे अच्छे खाने और आरामदायक घर से कहीं अच्छी हैं। आखिर मैं अपने देहात में शान्ति और आराम से सो तो सकता हूँ।”

    नैतिक सीख:

    Hindi moral stories for class 5: कई बार जो चीज़ जीतनी दूरसे अच्छी दिखती है उतनी अच्छी हो वह जरूरी नहीं है। हम सभी दुसरो के देख कर जलते है की उसके पास इतना आराम है बहुत कुछ। पर हमें नहीं पता की सचमे उसका जो आराम हो पर उसका इतना तनाव हो की वो उस आराम को महसूस ही न कर पा रहा हो। जबकि आप उसे ज्यादा सुखी हो ठीक उस देहाती चूहे की तरह।

    Moral of this story:

    Hindi moral stories for class 5, Moral stories in Hindi for class 5: Sometimes what looks better than this is not necessarily good. We all envy seeing others that they are so relaxed. But we do not know that his so much comfort is really but he is so tense that he is not able to feel that so-called comfort. While you are happy like a rustic rat.


    7.  अक्ल बड़ी या भैंस


    7. अक्ल बड़ी या भैंस

     एक था हाथी और एक था मगर। हाथी जंगल का राजा था और मगर नदी का राजा था। दोनों में खूब दोस्ती थी।

     एक दिन दोनों मित्र नदी किनारे बैठकर अपनी-अपनी ताकत की बड़ाई कर रहे थे। उनके पास ही एक कछुआ बैठा हुआ उनकी बातें सुन रहा था। 

    उसे न जाने क्या सूझा, वह हाथी और मगर के सामने आकर बोला, “आप दोनों जैसा बलवान सचमुच दुनिया में दूसरा नहीं है। पर क्या आप मेरे साथ एक शर्त लगाएँगे ?” इस पर दोनों खिलखिलाकर हँस उठे। 

    हाथी ने हँसते हँसते पूछा, “तुम मुझसे शर्त लगाओगे या मगर भाई से ?”

    कछुए ने कहा, “आप दोनों से ही। देखें हम तीनों में सबसे बलवान कौन है।”

    हाथी और मगर को तो विश्वास ही नहीं हुआ। कछुए के सिर पर न जाने कौन-सा भूत सवार हो गया था। 

    पर फिर भी हाथी ने पूछा, “अच्छा तो पहले किससे शर्त लगेगी ?” 

    कुछ देर सोचकर कछुआ बोला,”पहले हाथी भाई से।” 

    हाथी चिंघाड़कर बोला,“तो तैयार हो जाओ लड़ने के लिए।”

    कछुए ने कहा, “मैं तो तैयार हैं लेकिन हम कुश्ती नहीं लड़ेंगे।”

    “हैं ! कुश्ती नहीं लड़ोगे ? तो फिर क्या करोगे ?” हाथी ने पूछा।

    कछुए ने समझाया,“देखिए, हम दुश्मन तो हैं नहीं। न ही दुश्मनों की तरह लड़ेंगे। बस हमें तो अपनी ताकत की जाँच करनी है।” 

    “वह कैसे करोगे ?” हाथी ने टोका।

    “ऐसा करेंगे कि मैं अपने पाँव में एक रस्सी बाँधकर पानी में चला जाऊँगा और आप उस रस्सी का दूसरा छोर पकड़कर मुझे बाहर खींचेंगे। यदि आप ने मुझे खींचकर पानी से बाहर निकाल लिया तो आप जीते और मैं हारा। न निकाल सके तो मैं जीता। मंजूर है ?” कछुआ बोला। 

    हाथी ने कहा, “मंजूर है। जा, रस्सा ले आ।” 

    Moral stories in Hindi for class 9

    कछुआ एक मोटा रस्सा लाया।

    उसने उसका एक सिरा अपने पाँव में बाँधा, और दूसरा सिरा हाथी को पकड़ाया। फिर नदी के भीतर चला गया। नदी बड़ी गहरी थी। उसके अन्दर एक बड़ी भारी चट्टान पर कछुआ और कछुई रहते थे। कछुए ने रस्से को कसके चट्टान पर लपेट दिया और आराम से बैठ गया। 

    अब कछुए ने पानी से सिर बाहर निकालकर हाथी से कहा, “हाथी भाई ! हाँ, खींचो।” 

    हाथी ने सोचा कछुए को खींचने के लिए ज़ोर लगाने की ज़रूरत ही क्या है। उसने पहले थोड़ा-सा खींचा, फिर ओर खींचा, फिर पूरी ताकत लगा दी पर रस्सा तो हिला ही नहीं। 

    अब तक वहाँ कई सारे जानवर इकट्ठा होने लगे थे।

    उन्हें देखकर हाथी को ओर गुस्सा आया। उसने इतनी ज़ोर से झटका दिया कि रस्सा खट से टूट गया और हाथी धड़ाम से गुलाँटी खाकर ज़मीन पर गिर पड़ा।

     सारे पशु-पक्षी ही-ही, हा-हा, हू-हू, हँ-हँ, करके हँस पड़े। हाथी सिटपिटाकर रह गया।

     अब आई मगर की बारी। वह अपने साथी की हालत देखकर गुस्से से काँप रहा था। उसने जोर से कहा,“कछुए ! अब मैं तेरे को मज़ा चखाकर ही रहूँगा। रस्सा ला”

    कछुए ने कहा, “जी, समझा मगर भाई। पर इस बार आप नदी में रहेंगे और मैं ज़मीन पर। मंजूर है न ?” 

    “हाँ – हाँ, मैं भी यही कहने वाला था। अब जल्दी रस्सा ला।” मगर बोला।

    कछुआ एक और मोटा रस्सा ले आया। एक छोर से अपना पाँव बाँधा और दूसरा मगर को दे दिया। 

    मगर तुरन्त अपना छोर पकड़कर धब्ब से पानी में कूद पड़ा। इस बार कछुए और मगर का दंगल देखने के लिए सभी पानी वाले जानवर इकट्ठा हो गए। 

    उधर हाथी अभी भी इतना गुस्सा था कि उसने ज़मीन वाले सभी जानवरों को वहाँ से भगा दिया और खुद भी वहाँ से चला गया। 

    कछुए ने देखा कि “वहाँ कोई नहीं है तो उसने तुरन्त रस्से को एक बड़े से पेड़ के चारों ओर लपेट दिया। फिर कछुई ने जाकर ज़ोर से आवाज़ दी, तैयार, मगर भाई, खींचो।” 

    अब बताओ कि आगे क्या हुआ होगा? मुझे नहीं लगता है की मुझे कुछ आगे बताने की जरूरत है। 

    नैतिक सीख:

    अक्ल ही इंसान की सबसे बड़ी ताकत है। इंसान चाहे तो वह अक्ल से बड़े से बड़े शक्तिशाली इंसान को भी हरा शकता है।

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    Moral of this story:

    Hindi moral stories for class 5: Intelligence is the greatest strength of man. If a person wants, he can beat even the greatest person by power with wisdom.

    उद्देश्य:

    इन सात कहानी संकलन का मेरा उद्देश्य है की विधार्थी अपने जीवन में इन कहानी के माध्यम से कुछ सीख ले सके और इस सीख को जीवन में लेके विधार्थी अपने लक्ष्य को हासिल कर सके। इस कहानी की वजह से विधार्थी जीवन में कुछ हकारात्मक बदलाव आये यही मेरी कामना है।  


    अब आप की बारी 

    • आप को मेरी यह “Hindi moral stories for class 5” आर्टिकल की कहानियाँ पसंद आयी हो तो इसे अपने मित्रो और परिवारजनों के साथ share किजिए। 
    • आपको यह stories कैसी लगी और कौनसी story सबसे ज्यादा पसंद आयी? वह मुझे comments में जरूर बताइए। 

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    5 Comments

    1. Azariyah on June 30, 2020 12:27 pm

      There are many Hindi grammatical errors in your stories and even other types of errors . all in all your stories are amazing. please look into the matter. thanks again.

      Reply
    2. Riddhi Suman on May 14, 2021 8:50 am

      Last story is better thanks google

      Reply
      • Mahesh Yadav on May 14, 2021 4:17 pm

        thanks

        Reply
    3. Afzal Imam on July 3, 2021 11:43 am

      Sabhi kahaniyan bahut hi achhe hain.

      Reply
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