अगर दुनिया में सबकुछ सहज होता तो हम कभी बहादुर और धैर्यवान नही बन पाते। सबसे पहले तो इस बात को हम एक कहानी से through समझते है।
एक बार की बात है एक बन्दर का बच्चा बीमार हो जाता है उस बच्चे के इलाज के लिए डॉक्टर को बुलाया जाता है।
डॉक्टर जाँच करने पर बताते है कि उसके इलाज के लिए कुछ दवाइयों की आवश्यकता है उन दवाइयों के बिना बच्चे का इलाज नहीं हो सकता है लेकिन साथ ही एक समस्या भी प्रकट करते है।
डॉक्टर कहते है –
ये दवाइयाँ नदी के दूसरे तट पर है। रास्ता काफी लम्बा है। साथ ही अन्य जानवरों का खतरा भी है। दवाइयों को कल शाम तक लाना जरुरी है। अन्यथा बच्चे की तबीयत और अधिक खराब हो जायेगी।
बन्दर कहता है –
मैं दवाइयों को लेकर अवश्य आऊँगा। आप तो मुझे दवाइयों की लिस्ट दे दीजिए। यह कहकर बन्दर नदी की ओर चल देता है।
बन्दर अपनी नाव निकालता है। नाव में emergency condition के लिए life जैकेट रखता है और अपनी यात्रा को शुरु कर देता है।
सबसे पहले उसे मेढ़क मिलता है। वह बन्दर को रोकता है और कहता है कि दूसरा तट बहुत दूर है। तुम वहाँ नहीं पहुँच पाओगे। बन्दर मेढ़क को Ignore करता है और आगे बढ़ जाता है।
आगे रास्ते में एक कछुआ मिलता है। वह कहता है –
आगे मत जाओ। आगे पानी का बहाव बहुत ही तेज है और गहराई भी अधिक है। मैं तो वहाँ तक गया और बीच रास्ते ही वापिस आ गया हूँ। तुम्हें वापिस चले जाना चाहिए।
बन्दर अपनी परेशानी कछुआ को बताता है कहता है कि मुझको नदी के पार जाना बहुत ही जरुरी है।
कछुआ, बन्दर की परेशानी में कोई रुचि नहीं रखता है। कछुआ कहता है कि आगे तुम्हारी इच्छा। मेरा कार्य बताना था। बन्दर भी कछुआ की बात में रुचि न रखते हुए आगे बढ़ता जाता है।
अब कुछ दूरी पर उसे मगरमच्छ मिलता है। वह कहता है –
बन्दर भाई आगे तेज तूफान आ रहा है। मैं तक वहाँ सँभल नहीं पा रहा था। तुम तो वहाँ बिल्कुल भी टिक नहीं पाओगे। मेरी राय है कि तुम यहाँ से वापिस चले जाओ।
बन्दर कहता है-
मुझे तो कोई तूफान नजर नहीं आ रहा है। तुम तो व्यर्थ ही बात कर रहे हो। बन्दर दूसरे तट की ओर बढ़ा चले जाता है।
अन्त में वह नदी के दूसरे तट पर पहुँच जाता है। आवश्यक दवाइयों को लेता है और अपने घऱ की ओर निकल पड़ता है। बच्चे को दवाइयाँ दी जाती है। कुछ समय बाद बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है।
कहानी की सीख :-
यह कहानी हमें बहुत सी सीख देती है –
हमारे जीवन में भी ऐसा ही होता है। हमारे अंदर इतनी काबिलियत होती है कि हम जीवन में बहुत growth कर सकते है। लेकिन हमारे पाँव पकड़कर नीचे खीचने वाले बहुत से लोग लगे रहते है। वे खुद न तो वहाँ तक पहुँच सकते है और न ही दूसरों को वहाँ पहुँचने देना चाहते है।
इसकी वजह कुछ भी हो सकती है। इनमें से अधिकतम वही होते है जो आपके सामने तो अच्छे बने रहते है लेकिन आपके पीठ पीछे आपका बुरा चाहते है।
अगर दूसरे नजरिये से देखा जाये तो – आप यह भी कह सकते है कि शायद वे सभी जानवर वास्तव में बन्दर के लिए चिंतित हो। इस कंडीशन में बन्दर की तरह आपको भी समझना होगा कि आपके लिए परिस्थितियाँ क्या है। आपको उस प्रकार का ही रिस्क लेना होगा।
रिस्क सोचा समझा होना चाहिए। जिस प्रकार बन्दर ने आपातकालीन समय के लिए life जैकेट को रख लिया था। बिना समझदारी भरे रिस्क के भी जीवन जीना कोई जीना है।
आप अगर कोई भी कार्य करते है तो risk वहाँ पर भी होता है लेकिन सबसे बड़ी बात ये होती है कि आपकी उस समय पर thinking क्या है, आप उस समय पर कितने धैर्यवान रहते है।
इस दुनिया में कुछ भी आसानी से नहीं मिलता है क्योकि अगर मिलता तो हम कभी भी बहादुर और धैर्यवान नहीं बन पाते, और जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाते।
हर व्यक्ति के जीवन में कभी ना कभी विपरीत परिस्थितियां आती ही हैं और उसके लिए हम पहले से कोई तैयारी भी करके नहीं बैठते तो ऐसा क्या करें कि हम उस परिस्थिति से निकल सकें ? तो चलिए इसी सवाल का जवाब विपरीत परिस्थितियों को कैसे संभाले ? कठिन परिस्थिति में क्या करे ?
आपके जीवन की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितनी अच्छी तरह से अपने शरीर , मन , अपनी भावनाओं , ऊर्जाओं , अपनी परिस्थितियों , और अपने दैनिक जीवन को संभालते हैं, अगर आप इन सभी चीज़ो को अच्छे से संभाल पा रहे हो तब तो आप खुद ही किसी भी समस्या का हल निकाल सकते है लेकिन अगर आप इसमें असमर्थ है तो कुछ बातें है जो कि आपको समझने की जरूरत है।
परिस्थितियों को स्वीकारना सीखे :-
जीवन की कठिनाईयों से निपटने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि सबसे पहले आप इसकी उपस्थिति को स्वीकार करें । आप जब जीवन में समस्याओं का सामना करते हैं , तो सबसे पहले उन्हें स्वीकार करें और उसे उस अवसर के रूप में देखें जो आपकी छिपी ताकतों को सामने लाएगा । अगर आप समस्या को स्वीकार लेते हैं तो इसे हल करने की ताकत का भी पता आप लगा लेंगे ।
हमारे साथ सबसे बड़ी समस्या ये ही होती है कि हम परिस्थितियों से हमेशा भागते ही रहते है, जितना ज्यादा हम उनसे भागते है उतनी ही ज्यादा वो हम पर heavy होती चली जाती है।
सबसे पहले परिस्थिति को समझना को होता है फिर उसके बाद उस पर सोचना होता है फिर end में उस पर action लेना होता है, तब हम उसका आसानी से हल निकाल पाते है।
हमेशा धैर्य बनाकर रखे :-
अगर हमें कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है तो सबसे तो पहले हमें उस समय अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए और हमें किसी भी कार्य को हिम्मत से काम लेना चाहिए।
अगर आप कोई भी कार्य को धैर्य के साथ करते हैं तो वह कार्य हमेशा सफल होता है चाहे वह कितनी भी कठिनाई क्यों ना हो, धैर्य और हिम्मत से किसी भी कार्य को किया जा सकता है कठिन से भी कठिन परिस्थितियों को भी हराया जा सकता है, इसीलिए अगर आप किसी भी समस्या परिस्थिति में जूझ रहे हो तो हमें अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए हमें उन परिस्थितियों का मिलकर सामना करना चाहिए।
एक सफल इंसान के अंदर ये सबसे बड़ी quality होती है कि उसके अंदर patience होता है जिसकी वजह से वो हर काम में सफल हो जाता है। इसलिए इस quality को आपको अपने अंदर build करना ही होगा, अगर जीवन में बहुत आगे तक जाना है।
हर समय प्रयत्नशील रहे :-
कुछ विफलताओं के बाद , कई लोग तंग आ जाते है और अपने लक्ष्य को छोड़ देते है। वे आशा खो देते हैं अपनी असफलताओं के बारे में शिकायत करते रहते है।
जो उनके जीवन में नकारात्मकता के अलावा और कुछ नहीं लाता है । किसी को भी अपने जीवन में पहली बार में 90 % सफलता नहीं मिलती है । ऐसे लोगों को नए विकल्पों के साथ बड़े पैमाने पर कार्य योजना के साथ एक नई रणनीति बनाने की आवश्यकता होती है ।
एक और तरीका यह है कि किसी कठिन परिस्थिति में नए विकल्प लाया जाये। जीवन में कुछ नया करने से कठिन परिस्थितियों को संभाला जा सकता हैं। परिस्थिति चाहे जैसे भी हो लेकिन हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए।