” ज़िन्दगी में कभी भी कुछ करना है तो सच बोल दो, घुमा-फिरा के बात मत करो “
जब इंसान सच्चाई को अपनाता है, तो उसे लगता है कि अगर मैं इसे अपनाता रहूंगा, तो जिंदगी में सफल नहीं हो पाऊंगा और हमें लगता है कि जो लोग झूठ बोलते हैं, वे सब बेहतर जिंदगी जी रहे होते हैं। लेकिन बहुत से महापुरुष कहते हैं कि यदि हमें जिंदगी के मकसद तक पहुंचना है, तो हमें सच्चाई के साथ जीना होगा।
इस दुनिया में जो कुछ भी सच है, वह सृष्टि की शुरुआत में भी सच था, आज भी सच है और आगे भी हमेशा सच ही रहेगा। यदि हम उस सच्चाई को जान जाएं, तो हमारी जिंदगी सफल हो जाएगी क्योकि असल में आज हम सच्चाई से बहुत दूर है।
एक इंसान ने अपनी ही विचारो की दुनिया बनायीं हुई है और वो उसी के अंदर गोल-गोल घूम रहा होता है उससे बाहर उसको और कुछ भी नजर ही नहीं आ रहा होता है।
एक बार एक चोर होता है वह बड़ी लूटमार करता था। डाके डालता था और सोचता था कि मैं बहुत अच्छा काम कर रहा हूं। एक दिन उसे चोरी में बहुत सा धन मिला, लेकिन वह लालची बहुत था।
उसे एक जगह भीड़ दिखी। सोचा, चलो यहां चुपचाप किसी का पर्स लूट लेता हूं। दरअसल, वहां प्रवचन चल रहा था। एक महात्मा वहाँ पर प्रवचन दे रहे थे कि इंसान को सच्चाई से जिंदगी जीनी चाहिए और जीवन में कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
हमें हर एक की मदद करनी चाहिए। तभी व्यक्ति का उद्धार हो सकता है। चोर पर उसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। वह उस महात्मा के पास पहुंचा और बोला- मैंने जीवन में हमेशा बुरे काम किए हैं, क्या मेरा उद्धार हो सकता है।
मैं चोरी करना नहीं छोड़ सकता हूँ, क्योंकि दूसरा कोई काम मैंने जीवन में सीखा ही नहीं। तब महात्मा बोले- तुम केवल सच बोलना शुरू कर दो, तुम्हारा उद्धार हो जाएगा। इसके अलावा तुमको और कुछ करने की जरूरत नहीं है।
अगले दिन वो चोर राजा के किले में डाका डालने गया। उसने चौकीदार से कहा- मैं यहां डाका डालने आया हूं। चौकीदार ने समझा कि कोई डाकू ऐसा तो कह ही नहीं सकता है, जरूर मजाक कर रहा होगा।
उसने उसे अंदर जाने दिया। और वो चोर तिजोरी के पास पहुंच गया। तिजोरी उठाकर ले जाने लगा, तो चौकीदार ने पूछा- यह क्यों ले जा रहे हो? वह बोला मैं इसे चुराकर ले जा रहा हूं। चौकीदार ने सोचा, जरूर यह कोई पागल इंसान है, जो मेरी परीक्षा ले रहा है, और उसने उसे जाने दिया।
चोरी की खबर जब राजा तक पहुंची, उस दिन सबकी पेशी हुई। चौकीदार की बात सुनकर उस चोर को दरबार में बुलाया गया। उसकी सच्चाई वाली बातें सुनकर राजा ने कहा- यह चोर भले ही हो, लेकिन ये एक सच्चा इंसान है।
सच्चे लोग इस दुनिया में कम ही मिलते हैं, इसलिए तुम अब इस महल में ही नौकरी करोगे। तुम्हे डाका डालने की जरूरत भी नहीं पडे़गी, तुमको जो कुछ भी चाहिए वो मैं तुमको दूँगा।
असल में सच्चाई हमें गलत कामों से दूर ले जाती है और हमारी जिंदगी खुशियों से भरपूर हो जाती है अपने आम व्यवहार में सच्चाई की जिंदगी जीना सबसे बड़ा गुण है।
सच्चाई से मन के भीतर शांति का अनुभव होता है जब हम सच बोलते है तो हमारे अंदर एक अलग ही तरह की ख़ुशी होती है जो की हमको एक बेहतर इंसान बनाती है।
यह सत्य है कि एक व्यक्ति अपने जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है। फिर भी संपूर्ण नहीं हो पाता, सीखने के लिए उसकी उम्र भी छोटी पड़ जाती है।
जीवन हमको कदम-कदम पर कुछ न कुछ सीखाता ही रहता है अगर उसमे हम अपने जीवन में सच को अपना साथी बना ले तो बहुत हद तक हमारा जीवन आसान होता चला जाता है।
सच्चाई के रास्ते पर चलना फायदे की बात होती है,
क्योकि इस राह पर भीड़ कम होती है इसलिए यहाँ पर चलना आसान होता है।
सत्य के मार्ग पर चलते हुए कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है.
पूरा रास्ता ना तय करना और इसकी शुरआत ही ना करना।
हमें हमेशा सच क्यों बोलना चाहिए?
सच बोलना भले ही मुश्किल हो, भले ही सच बोलने के लिए आपको पसंद ना किया जाए, घर-परिवार के लोगों के लिए आप बुरे बन जाएं, दोस्त आपसे दूर चले जाये या फिर आपके मान-सम्मान में कमी आ जाए, लेकिन सच बोलने के बहुत सारे फायदे हैं। सच बोलना इंसान को अंदर से मजबूत बनाता है।
सच बोलने पर आपको यह याद रखने की जरूरत नहीं है कि आपने किससे कब क्या बोला था। वहीं एक झूठ को निभाने के लिए आपको हर कदम पर झूठ बोलना पड़ता है।
सच बोलने पर बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। सच बोलने पर अपने साथ छोड़ सकते हैं और आप अलग-अलग पड़ सकते हैं। लेकिन सच इंसान को भीतर से जितना मजबूत बनाता है, उतनी कोई और चीज नहीं बनाती है जो कि असल में बहुत ही जरुरी होती है।
अगर आप बड़ी से बड़ी मुश्किल का डटकर सामना करना चाहते हैं तो आप पूरे विश्वास के साथ सच बोलिए। सच के साथ सबसे अच्छी बात ये है कि लंबे दौर में आपकी सकारात्मक छवि बनाता है। सच बोलने पर आप दूसरों के साथ-साथ अपने लिए भी ईमानदार होते हैं, जो आपको self growth की राह पर आगे बढ़ाता है।
सच बोलने की ताकत लोगों से जोड़ने का भी काम करती है। सच बोलने पर आपकी बॉडी लैंग्वेज में भी पॉजिटिविटी नजर आती है जिसकी वजह से आप मिलने-जुलने वालों से आसानी से कनेक्ट कर लेते हैं।
हम सच बोलने से क्यों घबराते हैं ?
हम सच बोलने से इसलिए घबराते हैं क्योंकि हमें पता है अगर हम सच बोलते हैं तो उस सच से किसी न किसी को नुकसान जरूर मिलता है जिस वजह से हम सच नहीं बोल पाते है।
सच बोलने में कोई बुराई नही है पर यह सच आप किसको बोल रहे हैं और वो उस सच को किस तरीके से ले रहे हैं उस के उपर सब कुछ निर्भर करता है. कुछ सच गुप्त रखने में ही भलाई होती है, कुछ प्रकाश करने में तय आपको करना है, किस सच को उजागर करें और किसे नही।
शुरुआत में हो सकता है कि लोगो को बुरा लग सकता है लेकिन long term में ऐसे लोगो के साथ हर कोई connect होना चाहता है क्योकि वहाँ पर एक trust बन जाता है जो कि इंसान को जीवन में बहुत आगे तक लेकर जाता है।
सच बोलना और सच का साथ देना सिर्फ एक अच्छी आदत नहीं है बल्कि ये जीने का सही तरीका भी है ये एक इंसान की बहुत बड़ी quality होती है जो कि इंसान को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।