Need to Work Hard In Hindi
मेहनत से जो नही घबराते दुनिया जहान उनकी मुट्ठी में है, जो आलसी और कामचोर होते हैं वो केवल हाथ मलते रह जाते हैं।
राम और श्याम दोनों ही बहुत अच्छे मित्र थे। गांव में उनकी दोस्ती को देखकर सभी खुश हो जाते थे। राम बहुत आस्तिक था। वो भगवान पर बहुत ही विश्वास करता था और श्याम बहुत ही परिश्रमी था। उन दोनों ने मिलकर कुछ जमीन खरीद ली। उनका उद्देश्य था खेती करके अमीर होना।
श्याम ने कहा, देखो भाई राम, अगर हम सही से परिश्रम कर सके तो हमारी फसल बहुत ही अच्छी उगेगी समझे। और हम बहुत ही अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे।
राम कहता है, अगर ऊपर वाले की इच्छा हुई तो जरूर कर पाएंगे। वो पूरी तरह से भगवान पर depend हो गया था। दोनों ने अपने – अपने विचार बताए।
श्याम बहुत परिश्रम करने लगा। मिटटी खोदना, घास साफ करना, बीज डालना और राम सिर्फ अपने लिए आशीर्वाद मांगता रहा। कि भगवान सब कुछ सही करना।
उसने सोचा,“इंसान जो कुछ भी करता है न वह सब ऊपर वाला करता है। उसी के कार्य से तो सारे कार्य सफल होते है।धीरे-धीरे दिन बीतने लगे। महीने बीतने लगे। खेतों में चारों तरफ हरियाली छा गए। सबकुछ वैसा ही हो रहा था जैसा वो सोच रहा था।
श्याम ने कहा,“देखा राम, कितनी अच्छी फसल खिली है।”
राम ने कहा,
“हाँ यह सब को ऊपर वाले का आशीर्वाद है। मैं तो रोज ऊपर वाले को याद करता हूँ। रोज, और उन्होंने ही हमको इतनी अच्छी फसल दी है।
श्याम ने कुछ भी नहीं कहा। वह सिर्फ मन लगाकर अपना काम करने लगा। और कुछ दिन बाद फसल पक आई। जमीन सुनहरे फसल से भर गई। राम और श्याम बहुत खुश हुए।
राम ने आसमान की तरफ हाथ जोड़कर प्रणाम करके कहा,
“हे ऊपर वाले, आपके आशीर्वाद से यह सब सम्भब हुआ। यह सब आपके आशीर्वाद का ही तो फल है। क्यों मित्र कहा था न ऊपर वाले की आशीर्वाद के बिना एक पत्ता भी नहीं गिरता। हर कार्य उसकी इच्छा के अनुसार होता है।
अब फसल बेचने का समय आ गया। फसल बेचकर बहुत लाभ हुआ। पर अब शुरू हुआ समस्या पैसे के बटवारे को लेकर।
राम ने कहा भाई श्याम, ऊपर वाले की इच्छा से ही इतना लाभ हुआ है हमें। क्यों न अब हम लाभ का बटवारा कर लेते है।
अब इस बात पर श्याम ने कहा,“देखो भाई, इस जमीन पर बीज बोने से ले करके फसल काटने तक मैंने परिश्रम किया है। तो परिश्रम का भी तो कुछ मूल्य होना चाहिए। तो फिर लाभ में से ज्यादा हिस्सा मिलना मुझे उचित है। चाहे तुम कुछ भी कहो भाई लेकिन लाभ का ज्यादा हिस्सा मुझे ही मिलना चाहिए।”
राम ने कहा, पर हमने जो ऊपर वाले से आशीर्वाद माँगा था उनके आशीर्वाद के बिना क्या यह फसल होती ही नहीं, इसलिए ज्यादा मुझे मिलना चाहिए।
दोनों में धीरे-धीरे बहस होने लगी। पहली बार फसल की बात को लेकर दोनों में झगड़ा और विवाद शुरू हो गया। दोनों ही गांव के मुखिया के पास गए।
मुखिया जी ने सब कुछ सुनकर कहा, तुम दोनों को मैं एक काम दूंगा, तुम दोनों में से जो इस कठिन कार्य को कर लेगा वही लाभ का ज्यादा हिस्सा पाएगा।
दोनों ने एक साथ कहा,“हाँ मुखिया जी हम तैयार है, फिर मुखिया जी उन दोनों को दो बोरिया देकर कहा,‘इन बोरियों में कंकर मिलाया हुआ चावल है। कल सुबह तक चावल अलग और कंकर अलग करके लाना होगा। मैं तुम दोनों का काम देखकर विचार करूँगा ठीक है।”
राम और श्याम दोनों बोरिया उठाकर ले जाते है। राम ने बोरी को मंदिर में उठाकर रख देता है। वह मन ही मन सोचता है,“हे ऊपरवाले आपका आशीर्वाद रहा तो जरूर सब कुछ सम्भब होगा। यह फिर से साबित हो जाएगा।
उधर श्याम रात को दिया जलाकर चावल और कंकर अलग करने लगा। राम ऊपर वाले के लिए बोरी रखकर सो जाता है।
जैसे सुबह हुई श्याम ने बोरी के चावल में कंकर जितना चुन पाया अलग-अलग करके मुखिया जी के पास ले आया।
और बोला कि पूरा सम्भब तो नहीं हो पाया, कुछ बाकी है। फिर मुखिया जी उसकी बात सुनकर मुस्कुराए और कहा,
“अब राम ने क्या किया यह भी तो देखे जरा उसके बाद विचार करूँगा।”
उधर राम ऊपर वाले पर भरोसा करके नींद से उठकर मंदिर से बोरी लेकर मुखिया जी के पास गया।
मुखिया जी ने पूछा,‘तुम क्या पूरी बोरी के चावल चुनकर लाए हो?”
राम ने हाथ जोड़कर कहा,“नहीं मुखिया जी। मैंने सारा काम ऊपर वाले के हाथ में छोड़ दिया था। देखिए मुखिया जी उनका आशीर्वाद मुझे जरूर प्राप्त होगा। देख लीजिए।
अच्छा तो तुमने अपने दोनों हाथो का इस्तेमाल नहीं किया और ऊपर वाले के उपर निर्भर रहे। तो फिर मैं देखूं जरा की तुम्हारे ऊपरवाले ने सही से काम किया है या फिर नहीं किया है। खोलो खोलो बोरी को खोलो।”उसमे जैसे कंकर भरे हुए थे ठीक वैसे ही अभी भी है।
फिर मुखिया जी ने हँसकर कहा,
“ऊपरवाले ने सबको दो हाथ दिए है काम करने के लिए। वह उन्हें ही आशिर्बाद देते है जो परिश्रम करते है। समझे राम। इसलिए श्याम के परिश्रम से ही यह फसल हुई है। तुमने कोई परिश्रम नहीं किया है। इसलिए लाभ का ज्यादा हिस्सा श्याम को ही मिलेगा।”
अब राम को समझ आ गया था कि उससे क्या भूल हो गयी थी, इस कहानी से हमको ये समझ आता है कि मेहनत का फल एक दिन में नहीं मिलता है लेकिन एक दिन जरूर मिलता है।
इस कहानी से हमको दो बातें समझ आयी एक तो परिश्रमं का फल, और समस्या का हल, श्याम को ये दोनों ही चीज़े मिली, क्योकि उसने असल में ही मेहनत की थी।
मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। मेहनत एक ऐसा हथियार है जिसकी सहायता से मनुष्य आलस्य को मार कर अपनी सफलता का मार्ग आसान बना सकता है।
इस संसार में बिना मेहनत के कुछ भी नहीं प्राप्त हो सकता है, ये बात हमने ऊपर दी गयी कहानी से भी समझी है, बैठे-बैठे केवल सपने बुनने से या ख्याली पुलाव पकाने से कार्य की सिद्धि नहीं होती। बल्कि उसके लिए हमें हाथ पैर हिलाने पड़ते हैं कठोर परिश्रम करना पड़ता है। तब ही हमें उसका फल प्राप्त होता है। संसार में किसी भी क्षेत्र में जितने भी popular लोग हुए हैं, सब ने अपने मेहनत के बल पर ही वह मुकाम हासिल किया है जिस पर वह आज हैं।
मेहनती व्यक्ति यदि मिट्टी को भी हाथ लगाएगा तो वह सोना बन जाए और आलसी व्यक्ति सोने को भी हाथ लगाएगा तो वह मिट्टी बन जाएगा। यही मेहनत का महत्व है।
जो मेहनत से नही घबराते दुनिया जहान उनकी मुट्ठी में है। जो आलसी और कामचोर होते हैं वो केवल हाथ मलते रह जाते हैं। एक किसान रोज कड़ी धूप में कई महीनों तक जी-तोड़ मेहनत करता है तब ही तो उसके खेतों में फसल हरी-हरी फसल लहराती है।
यदि वो मेहनत न करे तो उसका खेत सूखा रह जाये। ये केवल एक उदाहरण है, ये नियम जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है। प्रकृति का एक सिद्धांत है मेहनत करोगे तो ही फल मिलेगा। ये सिद्धांत संसार के सभी प्राणियों पर लागू होता है, चाहे वो मनुष्य हों या जानवर हों।
यदि आप मेहनत करने में सक्षम है, तो आप कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं, परंतु यदि आप आलस्य से परिपूर्ण है तो आप कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकते हैं। हमारे पास ढेरों ऐसे उदाहरण हैं जिनसे यह बात पूर्णतया साबित होती है कि यदि आप दिल से किसी कार्य को करते हैं तो आपको उसका फल अवश्य प्राप्त होता है ।
यदि आप इसे कहानी के माध्यम से समझना चाहते हैं तो हमारे सामने धीरूभाई अंबानी, टाटा ऐसे कई महान व्यक्ति हैं, धीरूभाई अंबानी अपने घर से ₹5 लेकर निकले थे और अपनी मेहनत के बल पर धीरे-धीरे वह बहुत बड़े व्यापारी बने आज रिलायंस इंडस्ट्री से सभी परिचित है ।
धीरूभाई अंबानी ने मेहनत के बल पर सब कुछ प्राप्त किया है। मेहनती व्यक्ति यदि चाहे तो वह बंजर जमीन में भी फसल उगा सकता है और रेगिस्तान से भी पानी निकाल सकता है, परंतु आलसी व्यक्ति तो सामने रखा हुआ पानी भी पीने में असमर्थ होता है ।
हम यह कह सकते हैं कि यदि आप अपने जीवन में लक्ष्यों की प्राप्ति करना चाहते हैं तो आप मेहनती बनिए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कीजिए ।