“कभी भी उस व्यक्ति को अपना जीवन चलाने के लिए नहीं कहें जो कि कभी भी आपके जीवन का हिस्सा नहीं रहा हो। “
एक गांव जहाँ पर हर एक आदमी मिलजुलकर रहते है, उस गांव में जब भी कोई भी समस्या आती थी तो हर एक आदमी एक-दूसरे की मदद के लिए हर समय तैयार रहते थे।
उस गांव में अगर किसी को थोड़ी बहुत भी चोट आ जाती थी तो सभी लोग उसका हाल पूछने के लिए जाते थे, अगर देखा जाये तो वहाँ के लोग बहुत ही अच्छे थे, सभी लोग आपस में एक-दूसरे का ध्यान बड़े ही अच्छे से रखते थे।
एक दिन उस गांव में चोर आ जाता है, वो रात को किसी के घर में चोरी करता है और फिर वहाँ से भाग जाता है, जब अगले दिन सभी को पता चला तो कोई ये नहीं जान पाया कि चोरी किसने की है, क्योकि सभी गांव वाले हर समय एक साथ ही रहते थे, गांव वालो में से तो कोई चोरी कर नहीं सकता था लेकिन चोरी तो हुई थी।
अब वहाँ पर ये बात किसी को भी समझ नहीं आ रही थी उसी बीच अगले दिन फिर से गांव से चोरी हो गई , अब गांव वाले सभी परेशान हो गए थे कि आख़िरकार चोरी कौन कर रहा है और लगातार दो दिन हो गए थे जब चोरी हो रही थी।
उस समय गांव के ही कुछ लोग ये सोच रहे थे कि हो सकता है, गांव के ही कोई लोग हो जो कि चोरी कर रहे हो क्योकि चोर का पता ही नहीं चल रहा था वो तो चोरी करके बड़े ही आराम से चला भी जाता था।
अब उस दिन के बाद अगली रात से गांव के ही कुछ लोगो ने वहाँ पर पहरा देना शुरू कर दिया फिर उसके बाद उस रात ,उस गांव में कोई चोरी नहीं हुई लेकिन अगली रात को आधी रात के बाद जब वो पहरेदार भी सो गए थे और गांव में वापस से चोरी हो गई ।
उस दिन के बाद वो गांव के ही लोग आपस में एक-दूसरे को चोर कहने लग गए, उन लोगो का उस दिन के बाद एक-दूसरे के ऊपर से पूरी तरह से ही विश्वास खत्म हो गया था।
एक समय वो था जब हर एक इंसान के लिए हर व्यक्ति जरुरी हुआ करता था लेकिन जैसे ही समय बदला वो ही इंसान एक-दूसरे को चोर कह रहे थे।
उस गांव में एक समय वो था जब कोई भी व्यक्ति कुछ भी बात बोल देता था तो उस बात को हर इंसान follow करते थे कोई भी उसके विपरीत जाकर कुछ भी नहीं बोलता था . यहाँ पर कहने का मतलब है कि उस समय गांव के हर एक इंसान के जीवन के फैसले और कोई ले रहा होता था लेकिन जब समय बदला तो फैसले भी बदल गए।
इस कहानी से हमको ये बात समझ आती है कि हम अपने जीवन की डोर ऐसे इंसान के हाथ में दे देते है जो कि हमारे लिए असल में जरुरी नहीं होता है लेकिन हम उसको जरुरी समझ बैठते है, और वो हमारे जीवन को चला रहा होता है।
हम जब दूसरों के ऊपर depend होते है तो हमारे अंदर फैसले लेने की ताकत नहीं होती है, और जीवन हमारे लिए बहुत ही कठिन होता चला जाता है।
“कहीं हम भी तो इस मतलबी दुनियां का हिस्सा तो नही बन रहे।”
बस एक बात ध्यान में रख ली तो बाकी सब आप स्वयं सम्भाल लेंगे।क्योंकि अगर दुनियाँ मतलबी हैं भी तो आपका ज्यादा कुछ नही बिगाड़ पाएगी बस आपको कुछ सबक ही सीखा जाएगी लेकिन अगर इस स्वार्थ की भावना ने आपके अंदर जगह बना ली तो आपका बड़ा नुकसान होगा जो कि हम दूसरों से करते है।
बहुत समझने वाली बात है कि अगर स्वार्थ न होता तो दुनिया में कोई भी रिश्ता कायम ही नहीं हो पाता,आप खुद सोचकर देखे कि माता-पिता का अपने बच्चे से,पत्नी का पति से,प्रेमी का प्रेमिका से,मित्र का मित्र से आदि सभी का कुछ न कुछ स्वार्थ होता ही है और कुछ हद तक ये सही भी है।आपको कोई अपना क्यों मानता है,क्योंकि आप उसके सुख-दुख में उसके साथी होंगे,उसके काम आयेंगे ,अगर ऐसा न हो तो कोई क्यों आपको अपना बनायेगा।
ये बातें अगर देखा जाये तो कुछ ही मायने में सही होती है लेकिन जब भी बात आती है अपने जीवन कि जहाँ पर हमको खुद के लिए बहुत ही अहम् फैसले लेने होते है, वहाँ पर हम किसी और को ये हक़ नहीं दे सकते है।
लोगों में निर्णय लेने की क्षमता क्यों घटती जा रही है ?
लोगों में निर्णय लेने की क्षमता दिन प्रतिदिन घटती जा रही है इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन इसका सबसे बड़ा जो कारण वो ये है कि कही न कही हमारे जीवन की डोर किसी और के हाथ में होती है और वो हमारे लिए निर्णय ले रहा होता है।
ऐसा इसलिए होता है कि हम कोई भी फैसला लेने से डरते है और उसी डर का सामने वाला फायदा उठाता है और हमसे जो चाहे वो करवाता रहता है।
निर्णायक व्यक्तित्व बहुत ही कम लोगों में होता है, ग़लत हो जाने का डर निर्णय लेने से रोकता है, परेशानी इसीलिए होती है क्यूंकि हम हमेशा सही साबित होना चाहते हैं।
जो लोग हमेशा किसी की छाया में जिये है, अपने पांवों पर खड़े नहीं हुए हैं, वह कभी भी निर्णय नहीं ले पाएंगे, उनका डर उनको अंदर से और भी कमजोर करता ही चला जाता है।
कुछ लोग निर्णय लेने से नहीं बल्कि उसके परिणाम से डरते है, वो हमेशा यही सोचते है कि उनके लिए गए निर्णय गलत होंगे, उन्हें अपने आप पर भरोसा नहीं होता।
जिन लोगों को खुद पर भरोसा नहीं होता उन्हें निर्णय लेने की परेशानी होती है क्योकि ऐसे लोग हमेशा दुसरो के भरोसे होते है वो चाहते है कि कोई दूसरा उनके लिए कुछ करे।
एक ऐसे इंसान से वो अपने जीवन की आशा लगाकर रखते है जो कि कभी उनका हो ही नहीं सकता है इसलिए कभी भी उस व्यक्ति को अपना जीवन चलाने के लिए नहीं कहें जो कि कभी भी आपके जीवन का हिस्सा नहीं रहा हो।
इस दुनिया का चाहे कोई कितना भी महान इंसान क्यों न हो वो आपके जीवन के बारे में कुछ भी सही नहीं बता सकता है करना तो बहुत दूर कि बात है, आपका जीवन सिर्फ आपके ही हाथ में होता है।
जिस दिन आपको ये एहसास हो जायेगा कि आपके जीवन में क्या हो रहा है इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है तो आप अपने-आप ही अपने जीवन की सभी जिम्मेदारियों को अपने हाथ में ले लेते हो और जीवन में आगे की तरफ बढ़ने लग जाते हो।