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    Home » प्रकृति के सबसे बड़े नियम “आदत “
    Health 8 Mins Read

    प्रकृति के सबसे बड़े नियम “आदत “

    Jyoti YadavBy Jyoti YadavUpdated:September 14, 20218 Mins Read
    Positive Habits In Life In Hindi
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    Positive Habits In Life In Hindi

    दोस्तों आज हम आपको प्रकृति के सबसे बड़े नियम के बारे में बताते हैं दोस्तों क्या आप प्रकृति के इस नियम के बारे में जानते हैं अगर नहीं तो हम आपको प्रकृति के इस नियम के बारे में बताते हैं ,

    चलो , मैं आपसे एक सवाल करती हूँ क्या हैं प्रकृति का सबसे बड़े नियम ? कुछ लोग इसके बारे में अच्छे से जानते हैं  और कुछ लोग नहीं जो लोग नहीं जानते मैं उन लोगो को इसके बारे मे जरूर बताना चाहूंगी ।

    प्रकृति के सबसे बड़े नियम  ” आदत “

    “इस संसार का प्रत्येक व्यक्ति आदत से मजबूर होता हैं” – सुकरात

    आदत आपके काम करने के तरीके को स्थायी बना देती हैं अगर कोई आदत एक बार पड़ जाने पर वे लगातार अपने आप चलती रहे। जितना ब्रह्माण्ड के बारें में सच हैं भी उतना ही इंसान की आदतों के बारें में।

    अगर कोई काम हम बहुत दिनों से कर रहे होते हैं तो हमे उस काम की आदत हो जाती हैं और वो काम हम आसानी से और जल्दी ख़त्म कर लेते हैं ब्रह्माण्ड की शक्ति जो इसमें ही काम करती हैं ये बात तो सबको पता हैं हर कोई आदत के बंधन से बंधा हुआ हैं जैसे- पशु-पक्षी, जीव-जंतु और व्यक्ति ह निर्जीव हो या सजीव कोई भी हो सब आदत के बंधन से बधे हैं ।

    हमारे सोचने और काम करने का तरीका सब हमारी आदते बनती हैं और हम उसकी के अनुरूप काम और व्यवहार करते हैं ।

    इस बात में बिलकुल भी संदेह नहीं कि व्यक्ति कही भी और कुछ भी हो वह अपनी आदतों के कारण ही सब काम कर पता हैं एक सफल  व्यक्ति हमेशा सही फैसले लेता हैं  जबकि एक असफल व्यक्ति हमेशा गलत फैसला लेता हैं ये सब उसके आदतों के कारण होता हैं क्योंकि उसकी आदत ऐसी हो जाती हैं ।

    भगवदगीता के अनुसार इसे भगवान की परा और अपरा प्रकृति से भी समझा जा सकता हैं। पूरा ब्रह्माण्ड अटूट नियमो पर चलता हैं ।

    ब्रह्माण्ड की पांच वास्तविकता हैं।
    समय, आकाश, उर्जा, पदार्थ और बुद्धि

    ब्रह्माण्डीय शक्ति के कारण ही हर प्राणी अपनी आदत के अनुरूप ढल जाता हैं इससे यह पता चलता हैं कि  असफलता अधिक असफलता को आकर्षित क्यों करती हैं सफलता अधिक सफलता को आकर्षित क्यों करती हैं ये बात इंसान को सब पता होती हैं फिर भी वह इस बात को स्वीकारता नहीं हैं ।

    आदत की जो शक्ति होती हैं उसका अर्थ होता हैं – ” साफ़ ” यह वह  शक्ति हैं, जो स्थापित आदतों की माध्यम से काम करती हैं इन्सान से कम बुद्धि वाले प्राणी प्राक्रतिक शक्ति से संचालित शक्ति से ही अपना कार्य करते हैं।

    भगवान द्वारा अपनी आदते चुनने का अधिकार केवल मनुष्य को ही दिया गया हैं एक इंसान ही ऐसा हैं जो अपनी आदतों को अपने विचार के according बदला सकता हैं यह बहुत ही अनोखी और महत्वपूर्ण बात हैं क्योकि पूरी पृथ्वी पर केवल इंसान ही हैं जिसे अपने  विचारो पर पूरा नियंत्रण करने का अधिकार मिला हैं।

    अगर कोई व्यक्ति इर्ष्या, लोभ,  डर और आशंका ,गरीबी की सीमाओं के बारें में सोचता हैं तो उसकी आदत उसके विचारो को भौतिक रूप में बदल देती हैं इसलिए उसका व्यवहार भी वैसा ही हो जाता हैं और दूसरी ओर अगर व्यक्ति सम्पन्नता और प्रचुरता में बारें में सोचेगा और अपने विचारो को कर्म के माध्यम से आकार देता हैं तो वह अपनी किस्मत को भी बदला सकता हैं और फिर वह आदत स्थिर बन जाती हैं और जब तक विचारो से उनको न  बदला जाएँ।

    कहा जाता है कि किसी कार्य को 45 दिन लगातार कर दिया जाय तो वह आदत में बदल जाती हैं, पढ़ने की आदत एक बहुत अच्छी आदत हैं, इसको अपनी आदत बनानी चाहिए ।

    हमारे  दिमाग में जो ideas आते हैं और फिर वो काम हम करते हैं और बार-२ वही काम करने पर हमारी अच्छी आदत हो जाती हैं ये जो हमारी अच्छी आदत होती हैं इनसे हमारा चरित्र बनता है और चरित्र से हम उज्वल भविष्य के सपने देखते हैं  हमारी जो आदत होती हैं उसका मिला जुला रूप चरित्र होता हैं  जिस व्यक्ति की आदत अच्छी होती हाँ उसका चरित्र भी अच्छा माना जाता हैं और जिस व्यक्ति की आदत बुरी होती हैं उसका चरित्र भी बुरा ही माना जाता हैं ।

    आदत क्या होती हैं :-

    आदत तो आदत ही है और किसी भी व्यक्ति द्वारा यह खिड़की से बाहर नहीं फेंक दी जाती. हाँ, एक-आध सीढ़ी तो खिसकाई जा सकती है. – मार्क ट्वेन

    आदत किसी व्यक्ति के व्यवहार को दर्शता हैं हर व्यक्ति की कुछ न कुछ आदत होती हैं और वह अपनी आदत के अनुसार ही अपने जीवन मैं कुछ न कुछ काम करता हैं वह उसकी आदत ही होती हैं सरल शब्द मैं बोल सकते हैं किसी भी काम को करना या किसी भी काम को करने का तरीका आदत कहलाता हैं ।

    उदाहरण के लिए शराब पीने की लत , जुआ खेलने की लत  ये सब आदत ही हैं  पशु -पक्षी , जीव-जानवर , प्राणी सबकी आदते अलग -२ होती हैं ।

    आदत की शक्ति महान है, यह हमें मेहनत को बरदाश्त करना सिखाती है और चोट से नफ़रत कराती है – सिसरो

    आदत और लत  दोनों अलग होती हैं कई बार व्यक्ति लत को अपनी आदत समझ बैठता हैं किसी भी काम को करना आदत हैं बुरे चीज़ो की आदत डालना लत होती हैं जैसे – धूम्रपान करना , जुआ खेलना, चोरी करना (लत हैं )

    आदत कई प्रकार की होती हैं जैसे – अच्छी और बुरी आदत

    अच्छी  आदत :-  अच्छी आदत वो होती हैं  जिनसे हमे कुछ लाभ होता हैं जैसे – किसकी सहायता करना , एक्ससरीज़ करना , योग करना, अच्छी किताब पढ़ना

    good habbits

    बुरी आदत  :-  बुरी आदत वो होती हैं जिन से हमे केवल हानि होती हैं जैसे – धूम्रपान करना , जुआ खेलना, चोरी करना

    आदत रस्सी की तरह होती हैं, हम हर दिन इसका एक धागा बुनते हैं और अंत में यह इतनी मज़बूत हो जाती हैं कि हम स्वयं ही इसको नहीं तोड़ सकते और अगर तोड़ने भी चाहे तो बहुत अधिक श्रम की आवश्यता होती हैं।

    – होरेस मान

    आदतों के प्रकार :-

    यांत्रिक आदतें :- ये वो आदत होती हैं डेली रूटीन में जो गतिविधियाँ या काम करते हैं, वह यांत्रिक आदतें कहलाती हैं ।

    नाड़ी मंडल संबंधी आदतें :-  जब कोई व्यक्ति अपनी भावात्मक स्थिति को समझा नहीं पता है या वह अपने अंदर के विचारो और भावना में संतुलन नहीं बिठा पता हैं उसे नाड़ी मंडल संबंधी आदतें कहते हैं ।

    शारीरिक इच्छा संबंधी आदतें :- ये वो आदत हैं जिसमें व्यक्ति अपनी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति करता है। जैसे – व्यक्ति की शारीरिक इच्छा कुछ भी हो सकती हैं  व्यायाम करना , ध्यान करना ये सब करने से आप मानसिक और शारीरिक दोनों से स्वस्थ रहेंगे और आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं होगी ।

    विचार संबंधी आदतें :- ये वह आदत हैं जिसमें व्यक्ति के अपने विचारो पर कोई कण्ट्रोल नहीं होता हैं उसके मन में बहुत से विचार उत्पन होते हैं जिसकी कोई सीमा नहीं होती हैं काम और विचार दोनों साथ चलते हैं ये दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं।

    सभी आदतों का संबंध  व्यक्ति के दिमाग से होता हैं अच्छी आदत व्यक्ति के व्यवहार पर निर्भर करती हैं अगर उसका व्यवहार अच्छा होगा तो उसकी आदत भी बहुत अच्छी होगी क्योंकि व्यक्ति के व्यवहार पर उसकी आदत निर्भर हैं ।

    दोस्तों मैं आपके साथ एक कहानी शेयर करती हूँ बहुत पहले की बात हैं दो दोस्त थे एक का नाम अजय और दूसरे का अमर था अमर और अजय बहुत ही गहरे दोस्त थे दोनों के गरीब परिवार से थे दोनों ही मुंबई की एक चोल में अपने परिवार के साथ रहते थे अमर और अजय दोनों के साथ पढ़े-लिखे और दोनों का बचपन साथ बिता दोनों एक दूसरे के सुख और दुःख के हिस्सेदार थे अजय और अमर दोनों एक दूसरे पर अपनी जान देते थे ।

    “भुला नहीं हूँ किसी को की मेरे भी बहुत अच्छे दोस्त हैं इस ज़माने मे, बस थोड़ी सी ज़िन्दगी उलझ पड़ी है दो वक़्त की रोटी कमाने में।”

    दोनों के ज़िन्दगी में एक नया मोड़ आया उसके बाद दोनों के परिवार एक हादसे के शिकार हो गए अब दोनों अकेले रहे गए उनका कोई भी साग-या कोई रिश्तेदार नहीं था जो उन दोनों की  देखभाल करता दोनों खुद ही एक दूसरे का सहारा बने।

    दोनों के ज़िन्दगी एक नए मोड़ पर आ गयी थी अमर अजय को पढ़ने के लिए गांव से बहुत दूर शहर भेज देता हैं और खुद चोल में रहकर उसके पढ़ने के लिए पैसो की व्यवस्था करता हैं उस वजह  से वह बहुत बुरी संगत में पड़ जाता हैं जैसे -चोरी करना , शराब पीना, मर्डर करना। और उसका दोस्त पढ़े-लिखे बहुत बड़ा इंस्पेक्टर बना जाता हैं ।

    अजय की तारीफ उसके चरित्र और काम के बारे में सब तारीफ करते थे बड़ो की रेस्पेक्ट करना और सब प्यार करना उसकी आदत हो गई थी पर वही उसका दोस्त से सब नरफत करते थे क्यूंकि वो बुराई के रास्ते पर चल दिया और अच्छा इंसान नही था और अजय को उसकी अच्छी आदत के लिए सब पसंद करते थे और रेस्पेक्ट भी करते थे  अमर की बुरी आदत की वजह से सब उससे दूर हो गए उसका दोस्त भी ।

    इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती हैं कि हमे अपने जीवन में अच्छी आदत अपनानी चाहिए और बुरी आदतों से दूर ही रहना चाहिए

    बुरी आदतों से हमारी शुद्धता का आभास मिलता हैं. – डॉ. एडलर

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