Two Best friends Short Story in Hindi
अंकित और आयुष दो दोस्त थे, वो दोनों बचपन से ही एक-दूसरे के बहुत अच्छे मित्र थे, वो हमेशा साथ-साथ ही रहते थे, वो दोनों अपना हर कार्य साथ- साथ करते थे।
सुबह उठकर दोनों एक साथ ही स्कूल के लिए जाते थे और वो दोनों साथ बैठकर ही पढ़ते थे,स्कूल से वापस भी दोनों एक साथ ही आते थे ।
अंकित के परिवार वाले बहुत ही अमीर लोग थे,अंकित जो भी अपने माता-पिता को करने के लिए बोलता था उसके माता-पिता उसके लिए वो ही करते थे,वहीं दूसरी तरफ आयुष के माता-पिता बहुत ही गरीब थे।
अंकित और आयुष ने जब अपनी 12 वी कि कक्षा को पास कर लिया था तो अंकित के माता-पिता ने अंकित का admission एक बहुत ही महँगे college में करवा दिया लेकिन आयुष के परिवार वालो के पास इतने rupee नहीं थे कि वो उसका admission उसी college में करवा सके।
आयुष के पिता उसका किसी दूसरे college में admission करवा रहे थे लेकिन आयुष सिर्फ अंकित के ही college में जाना चाहता था।
आयुष के पिता ने कर्ज लेकर उसका admission अंकित के कॉलेज में ही करवा दिया और ये सुनकर आयुष बहुत ही खुश हो गया,जिसके बाद वो दोनों एक साथ-साथ college जाते थे।
अंकित और आयुष college में रहकर गलत आदतों के शिकार हो गये, वो न तो पढ़ाई करते थे और न ही college जाते थे, पुरे-पुरे दिन घर से बाहर रहने लग गये थे।
आयुष के परिवार वालो ने उसको बहुत समझाया लेकिन आयुष कहता था कि अंकित मेरा सबसे अच्छा दोस्त है वो मुझे कभी भी गलत रास्ते पर नहीं लेकर जा सकता है।
एक दिन आयुष के पिता बहुत ही तेज बीमार हो गये और उनको hospital में भर्ती करवा गया, और उनको पता चला कि उसको कैंसर है,और डॉक्टर ने बोला कि जब-तक आप पैसे जमा नहीं करवाएंगे तब तक हम उनका इलाज नहीं कर सकते है।
आयुष ने बहुत कोशिश कि लेकिन पैसो का इंतज़ाम नहीं हो पाया,आखिर में उसने अंकित से मदद मांगी, लेकिन उसके परिवार वालो ने आयुष की मदद करने से मना कर दिया, जिसके कारण आयुष के पिता की मौत हो गयी।
उस दिन आयुष को एहसास हुआ कि आज पैसो की वजह से उसके पिता की मौत हो गयी हो सकता है कल पैसो की वजह से उसकी माँ की भी मौत हो जाये और उसका जीवन भी बेकार हो जाये।
उस दिन आयुष के पास बहुत बड़ी वजह थी अपने आप को बदलने कि और जीवन में आगे बढ़ने कि ,उसको पता था अगर मैं आज नहीं पढ़ा और मैंने कुछ नहीं किया तो हमारा जीवन बद से बद्तर हो जायेगा,उस दिन के बाद से उसका जीवन पूरी तरह से बदल गया।
आपके जीने की वजह बहुत बड़ी होनी चाहिए :-
अगर आपके पास जीने की एक बहुत बड़ी वजह होती है तो आप उन कार्य को करने लग जाते है जो कि करना एक समय पर आपके लिए अंसभव होता है लेकिन वो वजह आपसे अपने आप ही बड़े-बड़े काम करवाते चली जाती है और आप करते ही चले जाते है।
जब आप अपने goal बनाते है तो यह जरुरी है कि आपके लक्ष्य आपको प्रेरित करें, इसका मतलब ये है कि आपका लक्ष्य आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है
यदि आपके लक्ष्य ऐसे है जिनमे आपका interest नहीं है तो आप अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पायेंगें क्योकि उस काम को करने में आपका कोई interest नहीं है,इसलिए ऐसे लक्ष्य बनाएं जिन्हेँ पाना आपके लिए हर हाल में जरुरी हो, तब आप बहुत जल्द अपने लक्ष्य को पा सकते है।
अगर आप कोई भी ऐसा कार्य कर रहे है जिसको करने में आपको बहुत दर्द होता है लेकिन वो दर्द उस दर्द के सामने बहुत कम है जो कि आपको वो काम करने पर मजबूर कर रहा है तो आप अपने-आप ही वो करने लग जाते है जो कि करना आपको बिल्कुल भी पसंद नहीं है।
अगर आपके परिवार में कोई भी इंसान, जो कि आपको सबसे ज्यादा प्यारा है अगर उसको physically रूप से कोई भी problem होती है तो आपके पास उसको hospital लेकर जाने की बहुत ही बड़ी वजह होती है फिर चाहे कुछ भी हो उस समय पर आपके लिए उससे जरुरी और कुछ भी नहीं होता है।
ठीक इसी तरह से अगर आपके जीवन में कोई एक ऐसी वजह हो जो कि आपको कार्य करने पर मजबूर करे तो आप अपने-आप ही काम करने लग जाते है, जब-तक आपके पास वो वजह नहीं होती है तब-तक आप एक काम पर focus नहीं रह सकते हो।
आपके अंदर अपने-आप ही कार्य को करने की energy आ जाती है और आप सफलता की राह पर निकल पड़ते हो जो कि एक सही राह होती है।
अगर हम पूरी कोशिश करें तो हम किसी काम में या कुछ भी पाने में असफल नहीं हो सकते है, क्योकि अगर आप किसी भी काम पर पूरी तरह से focus रहते हो तो आज नहीं तो कल आपको सफलता मिलनी ही मिलनी है।
अगर आप अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हो तो सबसे पहले आपको ये जानना होगा कि आप क्या कर सकते है क्योकि हमारे अंदर कुछ-न-कुछ तो ऐसा होता है जिसको की हम कर सकते है बस उसको जानना है और उस पर काम करना है।
सफलता के मैदान में तब तक डटे रहो जब तक कि आप अपने काम में सफलता को हासिल नहीं कर लेते है आपको अपने कार्य में आगे बढ़ने के लिए सिर्फ कदम बढ़ाने की देर है।
आपको बस अपने लिए एक वजह को खोजना है क्योकि वो वजह ही आपको सफलता के दरवाजे तक लेकर जाती है :-
एक इंसान अपने लिए बहुत से goal बनाता है लेकिन उनमे से असल में एक को भी वो पूरा नहीं कर पाता है क्योकि उसको पता ही नहीं होता है कि उसके लिए क्या सबसे जरुरी है।
जब हम goal set करते है तो वहाँ पर दो बातें होती है एक तो वो जो goal है वो आपके लिए actual में important है और दूसरी कि हमने किसी की बात सुन ली,किसी को कुछ करते देख लिया और हम वो ही करने लग जाते है।
अगर actual में हमारे लिए कुछ जरुरी है तो वहाँ पर और कुछ भी हमारे लिए मायने नहीं रखता है क्योकि हमने हमारी priority set कर दी है जो कि हमारी असल में जीने की वजह होती है।
जब तक हमारे पास जीने की कोई वजह नहीं होती है तब-तक हम छोटी-छोटी बातो में ही उलझ कर रह जाते है और अपनी पूरी जिंदगी दुसरो को ही कोसते रहते है, हम अपनी नाकामयाबी का दोष या तो अपने परिवार वालो की देते रहते है या फिर किसी रिश्तेदार को देते रहते है।
आपके साथ कुछ भी सही हो रहा हो या फिर आपके साथ कुछ गलत हो रहा हो अगर आप अपने जीवन की जिम्मेदारी खुद ले लेते हो तो आप अपने -आप ही वो काम करने लग जाते हो जो कि करना आपके लिए असल में जरुरी होता है।
“ठोकर लगने का मतलब यह नहीं कि आप चलना छोड़ दे
बल्कि ठोकर लगने का मतलब यह होता है कि आप संभल जाएं। “